ब्रेकिंग
दिल्ली सीमा पर डटे किसानों को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, CJI बोले- बात करके पूरा हो सकता है मकसद UP के अगले विधानसभा चुनाव में ओवैसी-केजरीवाल बिगाड़ सकते हैं विपक्ष का गणित सावधान! CM योगी का बदला मिजाज, अब कार से करेंगे किसी भी जिले का औचक निरीक्षण संसद का शीतकालीन सत्र नहीं चलाने पर भड़की प्रियंका गांधी पाक सेना ने राजौरी मे अग्रिम चौकियों पर गोलीबारी की संत बाबा राम सिंह की मौत पर कमलनाथ बोले- पता नहीं मोदी सरकार नींद से कब जागेगी गृह मंत्री के विरोध में उतरे पूर्व सांसद कंकर मुंजारे गिरफ्तार, फर्जी नक्सली मुठभेड़ को लेकर तनाव मोबाइल लूटने आए बदमाश को मेडिकल की छात्रा ने बड़ी बहादुरी से पकड़ा कांग्रेस बोलीं- जुबान पर आ ही गया सच, कमलनाथ सरकार गिराने में देश के PM का ही हाथ EC का कमलनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश, चुनाव में पैसे के गलत इस्तेमाल का आरोप

सरकार ने किसानों को आज बातचीत के लिए विज्ञान भवन बुलाया, कृषि मंत्री ने कही यह बात

नई दिल्ली। किसानों के आंदोलन पर सरकार गंभीर है। इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा है कि पहले निर्णय हुआ था कि किसान भाइयों के साथ अगले दौर की बातचीत तीन दिसंबर को होगी लेकिन किसान अभी भी कड़ाके की सर्दी के बीच आंदोलन कर रहे हैं। दिल्‍ली में कोरोना महामारी का खतरा भी है इसलिए बातचीत पहले होनी चाहिए। यही कारण है कि सरकार ने किसान नेताओं को आज मंगलवार को बातचीत के लिए विज्ञान भवन अपराह्न तीन बजे बुलाया है।

कृषि मंत्री ने विपक्ष पर भी तगड़ा निशाना साधा। उन्‍होंने कहा कि जब कृषि कानून लाए गए थे तो उन्होंने (विपक्ष) किसानों के बीच कुछ गलतफहमी पैदा की। यही कारण है कि किसान कृषि कानूनों से आशंकित हैं। इससे पहले भी हम किसान नेताओं के साथ अक्टूबर 14 और नवंबर 13 को दो दौर की वार्ता कर चुके हैं। बीते 13 नवंबर को बातचीत के दौरान यह निर्णय लिया गया था कि अगले दौर की बातचीत तीन दिसंबर को होगी। अब हमने कड़ाके की सर्दी और कोरोना संक्रमण को देखते हुए किसान नेताओं को आज पहली दिसंबर को ही बुलाने का फैसला किया है।

कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि किसानों को नए कृषि कानूनों को लेकर कुछ गलतफहमी हो गई है। सरकार किसान संगठनों के साथ बातचीत करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्‍व में बीते छह वर्षों में किसानों की आय बढ़ाने के लिए एतिहासिक काम किए गए हैं। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों के साथ बातचीत की पेशकश की थी। उन्‍होंने किसानों से सरकार द्वारा सुनिश्चित स्‍थान पर आंदोलन जारी रखने को कहा था लेकिन ने सरकार के प्रस्‍ताव को ठुकरा दिया था।

किसानों का कहना है कि बातचीत के लिए वह सरकार की किसी भी शर्त को नहीं मानेंगे। बातचीत बिनाशर्त होनी चाहिए। अब जब केंद्र सरकार ने दूसरी बार बातचीत को बुलाया है देखना यह है कि किसान नेताओं का रुख क्‍या होता है। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी ने काशी में विपक्ष पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जिनका इतिहास ही छल का रहा है वे किसानों में नए कानूनों को लेकर भ्रम फैला रहे हैं। सरकार अपने प्रकल्प से किसानों को आय वृद्धि का विकल्प दे रही है। इन दोनों के मिलन से ही देश का कायाकल्प संभव है।

केंद्र की इस पहलकदमी से समझा जा सकता है कि किसानों के आंदोलन पर सरकार कितनी गंभीर है। सरकार की गंभीरता का आलम यह है कि किसानों के आंदोलन के मसले पर कोई ठोस रास्ता निकालने के लिए एक दिन के भीतर केंद्रीय मंत्रियों ने दो बार बैठक कर विचार-विमर्श किया। पहली बैठक रविवार शाम भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर हुई थी जबकि दूसरी बैठक सोमवार दिन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर हुई। इस दौरान केंद्र सरकार के मंत्रियों की ओर से किसानों को भरोसा दिया गया कि इन कानूनों से उन्‍हें कोई खतरा नहीं है।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एसएसपी पर सरकारी खरीद आगे भी जारी रहेगी इसको बंद करने का कोई सवाल पैदा होता है। वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि नए कृषि कानूनों से किसानों के जीवन में नए अवसर पैदा होंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि सरकार किसानों के बातचीत करने को तैयार है चाहें तो पूर्व निर्धारित तारीख तीन दिसंबर से पहले ही बैठक सकते हैं। वहीं किसान संगठनों चुप्‍पी से कई सारे सवाल भी खड़े हो रहे हैं।

वहीं पंजाब के किसानों को आंदोलन के लिए मिल रहे वित्तीय समर्थन को लेकर सरकार आशंकित है। खासतौर पर विदेश में बसे प्रवासी भारतीयों की ओर से समर्थन से इसे और बल मिल रहा है। यही नहीं माना यह भी जा रहा है कि किसान आंदोलन को कांग्रेस और वामपंथी दलों का समर्थन मिल रहा है। असल में विपक्षी दलों की कोशिश किसानों के सहारे सरकार पर दबाव बनाने की है। यही वजह है कि सरकार विपक्ष को सवाल उठाने का कोई मौका नहीं देना चाहती है। भाजपा ने किसानों को गुमराह नहीं होने की सलाह दी है।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.