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योगी सरकार की पहल: इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के हब के तौर पर बन रही है UP की पहचान

लखनऊ: उद्योगो के लिये जरूरी एक्सप्रेस वे समेत अन्य बुनियादी सुविधाएं मुहैया करा कर निवेश को आकर्षित करने में काफी हद तक सफल उत्तर प्रदेश हाल के वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एवं इलेक्ट्रानिक्स निर्माण के हब के तौर पर तेजी से अपनी पहचान बना रहा है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिये कई कदम उठाए हैं और नवीन नीतियां घोषित की हैं। मौजूदा सरकार के गठन के पश्चात दिसम्बर 2017 में घोषित उ.प्र. इलेक्ट्रानिक्स मैन्यूफैक्चरिंग नीति 2017 में प्रदेश में इलेक्ट्रानिक्स सेक्टर में निवेश आकर्षित करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र को ‘इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग जोन’ घोषित किया गया था। नीति के तहत 20 हजार करोड़ रूपये के निवेश के लक्ष्य को तीन साल में ही लगभग 30 निवेशकों के जरिये अर्जित कर लिया गया है तथा 3,00,000 से अधिक रोजगार सृजित हुए हैं।

सरकार के एक प्रवक्ता ने दावा किया कि चीन, ताइवान तथा कोरिया की अनेक प्रतिष्ठित कम्पनियॉं उत्तर प्रदेश में अपनी इकाईयां स्थापित करने के लिये आकृष्ट हो रही हैं। एक ओवरसीज प्रतिष्ठित कम्पनी द्वारा ग्रेटर नोएडा के 100 एकड़ क्षेत्र में इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (ईएमसी) विकसित किया जा रहा है, जिसमें उत्पादन इकाइयां स्थापित की जाएंगी। इस नीति के फलस्वरूप नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र भारत के इलेक्ट्रानिक्स मैन्यूफैक्चरिंग हब के रूप में प्रतिष्ठित हुए हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रानिक्स मैन्यूफैक्चरिंग नीति-2020 के अन्तर्गत प्रदेश के सभी क्षेत्रों में होगा।

इलेक्ट्रानिक्स उद्योग का विकास उ.प्र. इलेक्ट्रानिक्स मैन्यूफैक्चरिंग नीति 2017 के सफल क्रियान्वयन से उत्साहित हो कर राज्य सरकार ने नई ‘उ.प्र. इलेक्ट्रानिक्स मैन्यूफैक्चरिंग नीति 2020′ घोषित की है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को प्रदेश के सभी क्षेत्रों में एक समान विकास के लिए सम्पूर्ण राज्य को आच्छादित किया गया है। नई नीति में अगले पांच वर्षों में 40,000 करोड़ रूपये के निवेश और 4,00,000 व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजन का लक्ष्य है।

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