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निर्भया कांड के आठ साल: वो काली रात और पीड़िता की चीखें… मां बोली- अभी लड़ाई बाकी है

निर्भया कांड के आज आठ साल पूरे हो रहे हैं। नृशंस सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के चारों दोषियों को भले ही फांसी दी जा चुकी है, फिर भी महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। दिल्ली के मुनीरका में 16 दिसंबर 2012 की रात सड़क दौड़ रही बस में एक जिंदगी चीख रही थी..वो हैवानों से गुहार लगा रही थी अपनी जान बख्शने के लिए, लेकिन 6 दरिंदों को तरस नहीं आया। 16 दिसम्बर 2012 को दिन रविवार था, जब 23 वर्षीय निर्भया दोस्त के साथ साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी मॉल में ‘लाइफ ऑफ पाई’ मूवी देखने गई थी। मूवी खत्म होने के बाद फीजियोथेरेपिस्ट और उसका दोस्त ऑटो से रात 9 बजे मुनिरका बस स्टैंड पर पहुंचे थे। यहां दोनों बस का इंतजार कर रहे थे, तभी करीब 9:17 पर आईआईटी की तरफ से सफेद रंग की बस आकर रुकी। बस के साइड में यादव लिखा था और बस के शीशे में काले और पर्र्दे लगे थे। एक व्यक्ति ने उन्हें बस से छोडऩे के लिए कहा, जिस पर भरोसा कर उसका दोस्त और निर्भया उस बस में सवार हो गए।

निर्भया के साथ बस में शुरू कर दी छेडख़ानी
जिसके बाद निर्भया के दोस्त से 20 रुपए किराया वसूलने के बाद निर्भया के दोस्त और दोषी पवन कुमार में बहस हो गई। इसका विरोध जब निर्भया ने किया तो युवकों ने लड़के को पकड़ लिया और निर्भया के साथ छेडख़ानी शुरू कर दी। इसी बीच एक नाबालिग लड़का केबिन से रॉड निकाल लाया और उसके दोस्त के सिर पर वार कर घायल कर दिया था। फिर युवती को पीछे की सीट पर ले जाकर दरिंदों ने न सिर्फ सामूहिक दुष्कर्म किया, बल्कि दरिंदगी की सारी हदें तोड़ दी थीं। पीड़िता ने खुद को छुड़ाने के लिए तमाम कोशिशें की, शरीर को नोचा, दांत काटा और मिन्नतें भी कीं, लेकिन हैवानियत पर उतारू इन दुष्कर्मियों पर कोई असर नहीं हुआ।

 निर्भया ने 13 दिन अस्तपाल में जिंदगी और मौत के बीच गुजारे
बदमाश चलती बस में निर्भया के साथ रेप करते रहे और इस दौरान उन्होंने करीब 24 किलोमीटर तक बस को दौड़ाया। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक मुकेश बस को लेकर महिपालपुर रोड एनएच-8 से यूटर्न लेकर द्वारका रूट पर गया और फिर बस को लेकर महिपालपुर आ गया था। इसके बाद होटल के सामने चलती बस से दोनों को नीचे फेंकने के बाद सभी फरार हो गए थे। निर्भया ने 13 दिन अस्तपाल में जिंदगी और मौत के बीच गुजारे, जिसके बाद सिंगापुर पहुंचते ही उसकी मौत हो गई, लेकिन इस दर्दनाक वाक्या और उस काली रात को जो कुछ भी हुआ, उसने दिल्ली पुलिस ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार को जगा दिया। पहली बार ऐसा देखने को मिला जब सड़कों पर नहीं, कॉलेज, घरों सहित हर जगह महिलाओं की सुरक्षा पर बात की जाने लगी। 29 दिसम्बर को जैसे ही निर्भया की मौत की खबर आई हर आंख छलक पड़ी और राजधानी थम सी गई थी।

निर्भया की हालत देख रो पड़े थे डॉक्टर
वहीं निर्भया का इलाज करने वाले डॉ. कंडवाल ने बताया था कि मेरे सामने 21 साल की एक युवती थी। उसके शरीर के फटे कपड़े हटाए, अंदर की जांच की तो दिल मानों थम सा गया। ऐसा केस मैंने अपनी जिदंगी में पहले कभी नहीं देखा। मन में सवाल बार-बार उठ रहा था कि कोई इतना क्रूर कैसे हो सकता है? उन्होंने कहा कि रात डेढ़ बजे का वक्त रहा होगा जब पीड़िता को मेरे पास लाया गया। मैं अस्पताल में नाइट ड्यूटी पर था। तभी रोज की तरह सायरन बजाती तेज रफ्तार एंबुलेंस अस्पताल की इमरजेंसी के बाहर आकर रुकी। तत्काल ही घायल को इमरजेंसी में इलाज के लिए पहुंचाया गया। पीड़िता को देखकर बार बार मेरे मन में एक ही सवाल उठ रहा था कि आखिर कोई कोई इतना क्रूर कैसे हो सकता है? मैं सारी रात सो नहीं पा रही है। मेरी आंखों के सामने वो ही खौफनाक मजंर आ रहा था।

20 मार्च की सुबह आरोपियों को दी गई फांसी
18 दिसंबर 2012 को दिल्ली पुलिस ने चारों दोषियों राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को गिरफ्तार किया। 21 दिसंबर को मामले में एक नाबालिग को दिल्ली से और छठे दोषी अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ्तार किया था।   मामले में छह में से चार दोषियों मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा व अक्षय कुमार सिंह को इसी साल 20 मार्च की सुबह फांसी दी जा चुकी है। एक आरोपी राम सिंह ने मुकदमा शुरू होने के बाद जेल में खुदकुशी कर ली थी। वहीं नाबालिग आरोपी को तीन साल की सजा के बाद 2015 में सुधार गृह से रिहा किया जा चुका था। इस दर्दनाक घटना को आठ साल पूरे होने पर निर्भया के मां ने कहा कि बेटियों से अभी भी क्रूरता हो रही है। लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि बेटी को इंसाफ मिल गया है और चार दोषियों को फांसी हुई। 2012 के बाद मैं 8 साल लड़ी. हम आगे भी दूसरी बच्चियों के इंसाफ के लिए लड़ते रहेंगे। जो हर साल हम प्रोग्राम करते थे इस साल कोरोना की वजह से नहीं कर पाएंगे लेकिन ऑनलाइन प्रोग्राम करेंगे।

निर्भया कांड के बाद बदल गई रेप की परिभाषा
निर्भया कांड के बाद देश में ऐसा जनाक्रोश उपजा कि इसने सरकार को कानून में बड़े बदलाव करने पर मजबूर कर दिया। इसी कांड के बाद पॉक्सो एक्ट अस्तित्व में आया। निर्भया कांड के बाद बलात्कार से जुड़ी कानून की कई धाराओं में बदलाव हुए। कई राज्यों ने ऐसे मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट की जरूरत महसूस की और इसे लागू किया। निर्भया कांड से पहले सेक्सुएल पेनिट्रेशन को ही रेप माना जाता था, लेकिन इस कांड के बाद देश में रेप की परिभाषा बदल गई। गलत तरीके से छेड़छाड़ और अन्य तरीके के यौन शोषण को भी रेप की धाराओं में शामिल किया गया। इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से भी सुरक्षा प्रदान करता है। पॉक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार हुए आरोपी को आसानी से जमानत भी नहीं मिलती है।

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