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राजनाथ सिंह का बड़ा बयान, कृषि बिल किसानों के हित में, वापस नहीं होंगे

केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है। सिंधु बॉर्डर के साथ ही अलग-अलग स्थानों पर प्रदर्शन कर रहे किसान एक दिन का उपवास रख रहे हैं। इस बीच, केंद्रीय कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक भी हुई। वहीं फिक्की के एक कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि तीनों कृषि बिल किसानों के भले के लिए है और सरकार इन्हें वापस नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा से किसानों की बात सुनने के लिए तैयार है, लेकिन उनके नाम पर राजनीति नहीं होना चाहिए।

उपवास के मुद्दे पर राजनीति: उपवास के मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो गई है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। दरअसल, अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि वे भी किसानों के समर्थन में एक दिन का उपवास रखेंगे। इस पर भड़के अमरिंदर ने कहा कि केजरीवाल को शर्म आना चाहिए। वे किसानों की समस्याओं पर राजनीति कर रहे हैं। अमरिंदर सिंह ने याद दिलाया कि किस तरह केजरीवाल सरकार पहले इन्हीं कृषि कानूनों का समर्थन कर चुकी है। वहीं आम आदमी पार्टी ने पटलवार करते हुए अमरिंदर सिंह पर आरोप लगाया कि उन्होंने किसान आंदोलन को केंद्र सरकार के हाथों बेच दिया है, क्योंकि उन्हें ED के शिकंजे से अपने बेटे को बचाना था।

कमजोर पड़ता जा रहा किसान आंदोलन

अब किसानों की फूट साफ दिखाई दे रही है। सच्चाई यह है कि आंदोलन अब कमजोर पड़ गया है। पंजाब और हरियाणा के ही किसान अब प्रदर्शन का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं लेकिन किसान संगठनों की जिद के कारण वह परेशान हो रहे हैं। यही कारण है कि किसान नेताओं को मंच से अपील करना पड़ रही है कि युवाओं को प्रदर्शन स्थल पर भेजा जाए। कुछ किसान ऐसे भी हैं जो प्रदर्शन स्थल से अपने घर जाना चाहते हैं लेकिन जा नहीं पा रहे हैं। कुल मिलाकर के 19वें दिन किसान नेताओं का आंदोलन डगमगाता दिख रहा है।

किसान संगठनों को उम्मीद के मुताबिक समर्थन नहीं मिल रहा है। अब तो पंजाब और हरियाणा के किसान भी साथ नहीं दे रहे हैं। राजस्थान की किसानों से उम्मीद थी लेकिन वह भी कम मात्रा में पहुंचे। यही कारण है कि संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य डॉ. दर्शन पाल ने मंच से अ की है कि पंजाब के हर गांव से कम से कम 10 युवाओं को दिल्ली भेजा जाए।

सच्चाई यह भी है कि आंदोलन के कारण प्रदर्शनकारी अब परेशान होने लगे हैं। पिछले 19 दिनों से वे सिंधु बॉर्डर पर जमे हैं लेकिन अभी भी आंदोलन खत्म होता नहीं दिख रहा है। अब किसानों को अपने घर वापसी, कामकाज और परिजन की चिंता सताने लगी है। लुधियाना के किसान परमिंदर सिंह ने बताया कि उनके परिवार के एक सदस्य की तबीयत खराब है और वह घर जाना चाहते हैं लेकिन उनके गांव के कई किसान यहां डटे हैं। इस कारण वह चाह कर भी घर नहीं जा पा रहे हैं।

वहीं पटियाला से आए किसान सुखविंदर सिंह के मुताबिक, उनके परिवार में शादी थी वह शामिल नहीं हो सके इसका उन्हें मलाल रहेगा सुखविंदर के मुताबिक दोनों पक्ष जीत पर आ रहे हैं यही कारण है कि आंदोलन खत्म नहीं हो रहा है। समस्या का हल निकालना जरूरी है।

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