ब्रेकिंग
दिल्ली सीमा पर डटे किसानों को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, CJI बोले- बात करके पूरा हो सकता है मकसद UP के अगले विधानसभा चुनाव में ओवैसी-केजरीवाल बिगाड़ सकते हैं विपक्ष का गणित सावधान! CM योगी का बदला मिजाज, अब कार से करेंगे किसी भी जिले का औचक निरीक्षण संसद का शीतकालीन सत्र नहीं चलाने पर भड़की प्रियंका गांधी पाक सेना ने राजौरी मे अग्रिम चौकियों पर गोलीबारी की संत बाबा राम सिंह की मौत पर कमलनाथ बोले- पता नहीं मोदी सरकार नींद से कब जागेगी गृह मंत्री के विरोध में उतरे पूर्व सांसद कंकर मुंजारे गिरफ्तार, फर्जी नक्सली मुठभेड़ को लेकर तनाव मोबाइल लूटने आए बदमाश को मेडिकल की छात्रा ने बड़ी बहादुरी से पकड़ा कांग्रेस बोलीं- जुबान पर आ ही गया सच, कमलनाथ सरकार गिराने में देश के PM का ही हाथ EC का कमलनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश, चुनाव में पैसे के गलत इस्तेमाल का आरोप

वरिष्ठ कवि और लेखक मंगलेश डबराल का निधन, पिछले कुछ दिनों से कोविड से थे संक्रमित

नई दिल्ली: हिंदी के प्रख्यात कवि, पत्रकार व साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मंगलेश डबराल का बुधवार को कोरोना वायरस संक्रमण से निधन हो गया। वह 72 वर्ष के थे। करीब 12 दिन पहले कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आए डबराल ने एम्स में आखिरी सांस ली। एम्स में उपचार के दौरान शाम में उन्हें दिल का दौरा पड़ा।

जनसंस्कृति मंच से जुड़े और उनके नजदीकी रहे संजय जोशी ने बताया, ‘‘डबराल पिछले कुछ दिनों से गाजियाबाद के वसुंधरा स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती थे और हालत बिगड़ने के बाद उन्हें उपचार के लिए एम्स में भर्ती कराया गया था।” मूल रूप से उत्तराखंड के निवासी डबराल जनसंस्कृति मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे। डबराल का 1948 में उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में जन्म हुआ था। जोशी ने बताया कि रघुबीर सहाय और मंगलेश डबराल दोनों का पेशा पत्रकारिता था, लेकिन उनका अपना सृजन कविता में था। पहाड़ के विस्थापन के अलावा उन्होंने शहरी जीवन पर काफी लिखा।

डबराल के दोस्त और कवि असद जैदी ने फेसबुक पर लिखा, ‘‘मंगलेश डबराल को पांच बजे के करीब डायलिसिस के लिए ले जाया गया। इसके बाद उन्हें दो बार हृदयाघात हुआ।” डबराल प्रतिपक्ष, पूर्वाग्रह, अमृत प्रभात आदि पत्रिकाओं से जुड़े रहे और लंबे समय तक जनसत्ता में काम किया। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में ‘पहाड़ पर लालटेन’, ‘घर का रास्ता’, ‘नये युग में शत्रु’, ‘हम जो देखते हैं’ आदि शामिल हैं। डबराल को साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा शमशेर सम्मान, स्मृति सम्मान, पहल सम्मान और हिंदी अकादमी दिल्ली के साहित्यकार सम्मान से सम्मानित किया गया था।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.