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राजनाथ बोले, एक सीमा तक शांति के मार्ग पर चलता रहेगा भारत, मोदी सरकार में हर मोर्चे पर मजबूती से डटा है देश

नई दिल्ली। चीन के साथ लगभग एक दर्जन वार्ता के बाद भारत-चीन रिश्तों में सार्वजनिक तल्खी तो थोड़ी घटी है, लेकिन शायद लद्दाख में जमी बर्फ पिघलनी शुरू नहीं हुई है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बार फिर से दोहराया है कि भारत किसी भी सूरत में युद्ध नहीं चाहता है लेकिन देश के स्वाभिमान और सुरक्षा को लेकर कोई समझौता भी नहीं करेगा। उन्होंने साफ साफ कहा- भारत हमेशा से शांति के मार्ग पर चलता आया है और ‘एक सीमा तक’ आगे भी चलता रहेगा।

केंद्रीय रक्षा मंत्री का यह बयान खासा अहम है क्योंकि कुछ दिनों पहले यह खबरें आई थीं कि दोनों ओर से सेना की चरणबद्ध वापसी पर सहमति बन गई है। लेकिन उसके बाद से चुप्पी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम में देश की सुरक्षा व्यवस्था पर बोलते हुए कहा – ‘उत्तरी सीमा सुरक्षा के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है और चीन के साथ भारत के वैचारिक मतभेद हैं। इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाने का प्रयास जारी है। हम किसी सूरत में यानी वाकई किसी भी सूरत में युद्ध नहीं चाहते हैं, लेकिन देश के स्वाभिमान, सम्मान के साथ किसी भी सूरत में समझौता भी नहीं होगा।’ भारत की ओर से पहले भी यह संदेश दिया जाता रहा है किभारत किसी भी स्थिति के लिए तैयार है। ‘एक सीमा’ की बात कहकर राजनाथ ने और स्पष्ट कर दिया कि भारत के जवान विचलित नहीं होते हैं लेकिन उकसावे से हर किसी को बचना चाहिए।

राजनाथ ने कहा कि बार्डर की सुरक्षा में केवल जमीनी बार्डर पर नहीं बल्कि सात हजार किलोमीटर लंबी कोस्टलाइन और 21 लाख वर्ग किलोमीटर इकोनोमिक जोन भी उसमें शामिल है। भारत ने हर क्षेत्र मे स्थिति मजबूत की है। राजनाथ ने कहा कि नादर्न सेक्टर की तरह ही वेस्टर्न सेक्टर भी अहम है। देश आजादी के बाद से ही पाकिस्तान से सटी सीमा के रास्ते घुसपैठ और आतंकवाद के संकट से जूझ रहा है। पाकिस्तान आए दिन सीजफायर उल्लंघन करता है। 2008 के मुंबई हमले , 2017 के उरी हमले, और 2019 में पुलवामा आतंकी हमले में पाकिस्तान के षड्यंत्र की छाया दिखी थी। लेकिन अब आतंकवाद के खिलाफ भारत ने प्रभावी रणनीति बना ली है। अब तो जरुरत पड़ने पर हम सीमा पार जाकर भी आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। राजनाथ ने कहा कि पाकिस्तान के कारनामे जारी है। लेकिन अब हम सिर्फ प्रतिक्रिया स्वरूप कार्रवाई नहीं करते है बल्कि आगे बढ़कर अपना काम पूरा करते हैं।

उत्तर पूर्व का जिक्र करते हुए राजनाथ ने कहा कि यहां लंबे अरसे से विकास नहीं हो रहा था। लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह क्षेत्र प्राथमिकता में रहा और सरकार के प्रयास तथा जनता के सहयोग से स्थायी शांति और विकास का रास्ता बन गया है। पूर्वोत्तर की सीमाओं से सटे देश म्यांमार, बंग्लादेश, भूटान, नेपाल के साथ बेहतर संबंध हुआ। हम नेबरहुड फ‌र्स्ट की नीति पर काम कर रहे हैं।

राजनाथ ने कहा कि जहां सीमाओं पर हमारी तैयारी और चौकसी बढ़ी है वहीं दूसरे कार्यकाल में आते ही नरेंद्र मोदी सरकार ने चीफ आफ डिफेंस स्टाफ और डिपार्टमेंट आपप मिलिटरी अफेयर्स का गठन कर दिया। इतना ही नहीं रक्षा उत्पादों के आयात से निर्भरता खत्म कर भारत में इसके निर्माण की तैयारी हो गई है। इसी के तहत बजट का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ डोमेस्टिक वैंडर से खरीद के लिए अलग कर दिया गया है। वहीं निवेश आने के कारण रक्षा निर्यात भी बढ़ा है। पांच साल पहले जहां भारत हजार करोड़ रुपये से भी कम रक्षा निर्यात करता था वह 2019-20 में बढकर 11 हजार करोड़ रुपये हो गया।

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