ब्रेकिंग
दिल्ली सीमा पर डटे किसानों को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, CJI बोले- बात करके पूरा हो सकता है मकसद UP के अगले विधानसभा चुनाव में ओवैसी-केजरीवाल बिगाड़ सकते हैं विपक्ष का गणित सावधान! CM योगी का बदला मिजाज, अब कार से करेंगे किसी भी जिले का औचक निरीक्षण संसद का शीतकालीन सत्र नहीं चलाने पर भड़की प्रियंका गांधी पाक सेना ने राजौरी मे अग्रिम चौकियों पर गोलीबारी की संत बाबा राम सिंह की मौत पर कमलनाथ बोले- पता नहीं मोदी सरकार नींद से कब जागेगी गृह मंत्री के विरोध में उतरे पूर्व सांसद कंकर मुंजारे गिरफ्तार, फर्जी नक्सली मुठभेड़ को लेकर तनाव मोबाइल लूटने आए बदमाश को मेडिकल की छात्रा ने बड़ी बहादुरी से पकड़ा कांग्रेस बोलीं- जुबान पर आ ही गया सच, कमलनाथ सरकार गिराने में देश के PM का ही हाथ EC का कमलनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश, चुनाव में पैसे के गलत इस्तेमाल का आरोप

यहां दो दिग्‍गजों में प्रतिष्‍ठा की जंग, एक पूर्व मुख्‍यमंत्री दो दूसरा पूर्व विधानसभा अध्‍यक्ष

पटना/गया। Bihar Election VIP seat: जिले की वीआइपी सीट इमामगंज पर सबकी नजरें टिक गई हैं। यहां राजग से हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी मैदान में हैं। वहीं महागठबंधन ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदयनारायण चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। लोजपा से कुमारी शोभा सिन्हा प्रत्याशी हैं। अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित इस सीट से वैसे तो दस उम्मीदवार हैं। लेकिन मुकाबला आमने-सामने का ही होने के आसार हैं। यहां नक्सलियों का खौफ, शांतिपूर्ण मतदान में एक बड़ी चुनौती है।

पांच बार जीते हैं उदयनारायण चौधरी- इस सीट की खासियत रही है कि यहां के लोग मेहमाननवाजी में भी पीछे नहीं रहे हैं। तभी तो मूल रूप से पटना के रहने वाले पूर्व विधानसभाध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को पांच बार विधानसभा पहुंचाया। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी भी इस विधानसभा क्षेत्र के नहीं हैं। वे गया के महकार गांव के रहने वाले हैं। कई अन्य बाहरी उम्मीदवार भी यहां विजयी हुए हैं।

पहले विधायक बने थे अंबिका प्रसाद सिंह

यह विधानसभा 1957 में अस्तित्व में आया। इसके पहले विधायक अंबिका सिंह चुने गए थे। वे निर्दलीय लड़े  और कांग्रेस की उम्मीदवार चंद्रावती देवी को करीब दो हजार मतों से शिकस्त दी थी। दूसरी बार भी अंबिका सिंह ने स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के जगलाल महतो को हराया। कुशवाहा बहुल इस विधानसभा सीट के निर्णायक भी इसी जाति के वोटर होते हैं। मांझी, यादव और मुसलमानों की भी अच्छी संख्या है।

1967 में इमामगंज सीट हो गई सुरक्षित

1967 के चुनाव में इमामगंज सीट को अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कर दिया गया। परिसीमन के बाद भी इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में बांकेबाजार की आमस प्रखंड से लगने वाली दो पंचायतें बिहरगाईं और रौशनगंज को शामिल कर दिया गया। वर्तमान में इमामगंज, डुमरिया, और बांकेबाजार प्रखंड की पंचायतें इसका हिस्सा हैं।

पिछले चुनाव में जीतन राम मांझी ने हम के उम्मीदवार के रूप में तत्कालीन जदयू प्रत्याशी उदय नारायण चौधरी को बड़े अंतर से पराजित कर दिया था। चौधरी की हार चौंकाने वाली थी।

समीकरण नया, उम्‍मीदवार पुराने

इस बार समीकरण बदले हैं, मगर उम्मीदवार पुराने ही दिख रहे हैं। हम के मांझी जदयू से मिल गए हैं। दूसरी तरफ जदयू उम्मीदवार रहे उदय नारायण चौधरी राजद के टिकट पर दावेदारी कर रहे हैं। लोजपा से कुमारी शोभा सिन्हा प्रत्याशी हैं। अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित इस सीट से वैसे तो दस उम्मीदवार हैं। लेकिन मुकाबला आमने-सामने का ही होगा। यहां नक्सलियों का खौफ, शांतिपूर्ण मतदान में एक बड़ी चुनौती है। यह यहां का प्रमुख मुद्दा भी है। कभी इस इलाके में नक्सलियों का खौफ था।वह अभी पूरी तरह से हटा नहीं है।

 एक भी अंगीभूत कॉलेज नहीं

दिग्गज नेताओं के इस क्षेत्र में शिक्षा, सुरक्षा, आवागमन बड़ी समस्या है। विधानसभा क्षेत्र में एक भी अंगीभूत कॉलेज नहीं है। डिग्री कॉलेज नहीं है। प्राथमिक शिक्षा की स्थिति पर भी लोग मायूस हैं। इसके अलावा नक्सलियों का खौफ बड़ा मुद्दा है।

इमामगंज विस : कब-कब कौन जीता

1957-अंबिका प्रसाद सिंह-निर्दलीय

1962-अंबिका प्रसाद सिंह-स्वतंत्र पार्टी

1967-डी. राम-कांग्रेस

1969-ईश्वर दास -संसोपा

1972- अवधेश्वर राम-कांग्रेस

1977-ईश्वर दास-जनता पार्टी

1980-श्रीचंद सिंह-कांग्रेस

1985-श्रीचंद सिंह-कांग्रेस

1990-उदय नारायण चौधरी- जनता दल

1995-रामस्वरूप पासवान-समता पार्टी

2000-उदय नारायण चौधरी-समता पार्टी

2005- (फरवरी)-उदय नारायण चौधरी-जदयू

2005- (अक्टूबर)-उदय नारायण चौधरी-जदयू

2010- उदय नारायण चौधरी-जदयू

2015- जीतन राम मांझी-हम

कुल मतदाता-  2,50,843

पुरुष- 1,32,969

स्त्री- 1,17,865

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.