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दुनिया के फर्नीचर बाजार में भारत की एंट्री की तैयारी, चीन की बजाय भारत में बने फर्नीचर से सजेंगे होटल व घर

नई दिल्ली। दुनिया के फर्नीचर बाजार में भारत की इंट्री की तैयारी इन दिनों जोरों पर हैं। अभी वैश्विक फर्नीचर निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी एक फीसद भी नहीं है। भारत चीन से होने वाले एक अरब डॉलर के फर्नीचर आयात को भी कम करना चाहता है, ताकि भारत के होटल व बड़े-बड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट में बनने वाले घर चीन के नहीं बल्कि भारत के फर्नीचर से सजाए जा सके।

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने फर्नीचर उद्योग में निर्यात एवं घरेलू बाजार की भारी संभावना को देखते हुए इसके विकास के लिए विशेषज्ञों की कमेटी बनाई है। आंध्र प्रदेश एवं तमिलनाडु ने तो फर्नीचर क्लस्टर निर्माण के लिए स्थान एवं जमीन का चयन भी कर लिया है। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने भी ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (टीपीसीआइ) को पीलीभीत में फर्नीचर क्लस्टर विकसित करने के लिए जमीन की पेशकश की है।

कितना बड़ा है बाजार

विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में फर्नीचर का संगठित बाजार सिर्फ 5 अरब डॉलर का है। इनमें से 1.6 अरब डॉलर भारत निर्यात करता है। वास्तव में यह निर्यात लकड़ी से निर्मित हैंडीक्राफ्ट्स आइटम का किया जाता है जिसे फर्नीचर निर्यात में शामिल किया गया है। फर्नीचर का वैश्विक निर्यात बाजार 246 अरब डॉलर का है और दुनिया के पांच देश निर्यात बाजार में 50 फीसद से अधिक की हिस्सेदारी रखते हैं। 75 अरब डॉलर के निर्यात के साथ चीन पहले नंबर पर है तो 19 और 17 अरब डॉलर के निर्यात के साथ जर्मनी और पोलैंड क्रमश: दूसरे व तीसरे स्थान पर है।

भारत के लिए क्या है स्कोप

विदेश व्यापार विशेषज्ञों ने बताया कि दस साल पहले वियतनाम का फर्नीचर निर्यात एक अरब डॉलर से कम था जो अब 10.6 अरब डॉलर का हो गया। वियतनाम को मुख्य रूप से चीन और अमेरिका के ट्रेड वार का फायदा मिला। टीपीसीआइ के चेयरमैन मोहित सिंगला कहते हैं, विश्व में फर्नीचर का सबसे बड़ा आयातक अमेरिका और कनाडा है और चीन अपना 46 फीसद निर्यात इन देशों को करता है। अभी चीन के खिलाफ अमेरिका में जो हालात बन रहे हैं भारत उसका फायदा उठाकर आसानी से फर्नीचर निर्यात को बढ़ा सकता है।

उन्होंने बताया कि टीपीसीआइ की गुजारिश पर हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार से पीलीभीत में फर्नीचर क्लस्टर निर्माण के लिए जमीन की पेशकश की है, लेकिन भारत के संगठित फर्नीचर निर्माताओं का कहना है कि दिल्ली से 100 किलोमीटर के दायरे में क्लस्टर निर्माण होने से फायदा मिलेगा क्योंकि आधुनिक फर्नीचर के अधिकतर खरीदार शहरी होते हैं। आंध्र प्रदेश ने 1500 एकड़ में फैले औद्योगिक इलाके में फर्नीचर पार्क विकसित करने का ऑफर दिया है तो तमिलनाडु ने थुथुकुडी जिले में फर्नीचर पार्क बनाने के लिए जमीन की पेशकश की है।

चीन से आते हैं भारत के बड़े होटल व हाउसिंग प्रोजेक्ट के फर्नीचर

विशेषज्ञों ने बताया कि भारत के सभी बड़े होटल व हाउसिंग प्रोजेक्ट में लगने वाले फर्नीचर चीन से मंगाए जाते हैं। शहरी इलाके में मशीन से निर्मित आधुनिक फर्नीचर की मांग लगातार बढ़ रही है। भारत में मुख्य रूप से पारंपरिक फर्नीचर बनाए जाते हैं और गोदरेज जैसी कुछ कंपनियां ही आधुनिक डिजाइन वाले फर्नीचर बनाते हैं।

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