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कैप्‍टन अमरिंदर ने कहा- इस्तीफा जेब में है, मेरी सरकार को बर्खास्त करने की जरूरत नहीं पड़ेगी

चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में में कृषि संबंधी चार विधेयकों के पारित होने के बाद मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह आक्रामक अंदाज में दिखे। इस विधेयकों के संबंध में उन्‍होंने कहा, मैं अपनी सरकार को बर्खास्‍त किए जाने से नहीं डरता। इस्‍तीफा जेब में है, इसलिए मेरी सरकार को बर्खास्‍त करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कहा कि विधानसभा में सभी पार्टियों ने कृषि कानून को लेकर एकजुटता दिखाई है। राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर के मुलाकात के बाद एक सवाल के जवाब में कैप्टन ने कहा ‘मैैं इस्तीफा देने से नहीं डरता। मुझे अपनी सरकार के बर्खास्त हो जाने का भी डर नहीं। किसानों को दुखों की भट्ठी में झोंकने या बर्बाद होने की हरगिज इजाजत नहीं दूंगा।

मुख्यमंत्री ने किसानों से की धरने हटाने की अपील, कहा- सरकार आपके साथ खड़ी है, आप हमारे साथ खड़े हों

इसके साथ कैप्‍टन ने कहा कि उम्मीद है कि केंद्र की मोदी सरकार इससे सबक लेगी और पंजाब की भावनाओं को समझेगी। कैप्टन ने यह आशंका भी जताई कि कृषि कानून रद न किए गए तो गुस्साए युवा किसानों के साथ सड़कों पर उतर सकते हैं, जिससे अफरा-तफरी मच जाएगी। कैप्टन ने इसके साथ ही किसानों से अपील की कि वह रेल रोको आंदोलन खत्म करें और यातायात बहाल करके राज्य सरकार की मदद करें।

उन्होंने किसानों से कहा कि हम आपके साथ खड़े हैं और अब आपकी हमारे साथ खड़े होने की बारी है। उन्होंने कहा कि सारा सदन किसानों के साथ है परंतु राज्य कठिन समय से गुजर रहा है। बिजली उत्पादन पर संकट है, खाद के लिए यूरिया नहीं है और न ही धान की मौजूदा आमद के लिए गोदामों में जगह है।

इससे पूर्व चर्चा के लिए सदन में बिल पेश करते हुए कैप्टन ने कहा कि कृषि कानूनों के नाम पर वास्तव में केंद्र ने ‘व्यापार कानून’ बनाए हैं। राष्ट्रीय मंडी तक पहुंच किसानों की नहीं बल्कि व्यापारियों की है। इन कथित कृषि कानूनों में ‘ट्रेड एरिया’ शब्दों का इस्तेमाल भी यही कह रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र कृषि कानूनों से पंजाब को खत्म करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि क्या यह न्यायपूर्ण है? इन कानूनों की पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य जिस स्थिति का आज सामना कर रहा है उसके बीज तो शांता कुमार कमेटी ने 2015 में ही बो दिए थे।

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