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सर्दी में आ सकता है कोविड-19 का मुश्किल दौर, प्रदूषण बढ़ने से खतरनाक हो सकते हैं हालात

कोरोना  से जंग अभी जारी है। हाल के दिनों में मामलों में कमी आई। मृत्यु दर को भी कम रखने में सफलता मिली है। फिर भी मामलों में थोड़ी कमी आने भर से बेफिक्र नहीं हुआ जा सकता। क्योंकि सर्दी के मौसम में मुश्किल दौर सामने आ सकता है। खासतौर पर उत्तर भारत में प्रदूषण के कारण कोरोना का संक्रमण बढ़ने का खतरा भी है। इस बीच एक के बाद कई त्योहार हैं। इसलिए बाजारों में रौनक बढ़ने के साथ भीड़ भी बढ़ेगी। लोग वैसे भी शारीरिक दूरी के नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। त्योहारी सीजन में बाजारों में भीड़ बढ़ने व बेफिक्र होकर बचाव के नियमों का ठीक से पालन नहीं करने से कोरोना बढ़ेगा और ज्यादा घातक साबित हो सकता है। इसलिए अभी ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।

जब तक कोरोना की कारगर दवा व टीका उपलब्ध नहीं हो जाता तब तक मास्क, शारीरिक दूरी के नियम का पालन व हाथ स्वच्छ रखना ही बचाव का सबसे बेहतर विकल्प है। इसलिए मामले थोड़े कम होने की बात सोचकर बेपरवाह नहीं हो सकते। यह देखा जा रहा है कि घर से बाहर निकलने पर भी लोग ठीक से मास्क नहीं पहनते। बाजार में शारीरिक दूरी के नियम का पालन नहीं किया जाता। यह समझना जरूरी है कि अभी संक्रमण पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। संक्रमण बरकरार है। इससे संक्रमण में इजाफे का जोखिम बना हुआ है। वैसे भी मौसम में बदलाव होने पर वायरस के संक्रमण का खतरा रहता है। सर्दी में खासी जुकाम की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में त्योहारों में बाजारों में भीड़ बढ़ने पर भी बिल्कुल निडर व उत्साहित होकर खुद को खतरे में डालना उचित कदम नहीं होगा।

घर से बाहर निकलने पर बचाव के नियमों का पालन बहुत जरूरी है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से बचाव के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। इसका मकसद यही है कि लोगों को जागरूक किया जाए। आम लोग भी स्थिति की गंभीरता को समझते हुए अपने बचाव के लिए नियमों का पालन जरूर करें। घर से बाहर निकलने पर मास्क जरूर पहनें। यदि  किसी ने मास्क नहीं पहनना है तो उसे तुरंत टोकें। सार्वजनिक स्थानों पर थूकें नहीं। इसके लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।

यदि तमाम प्रयासों के बावजूद बचाव के नियमों का ठीक से पालन नहीं किया जाता तो दूसरा तरीका यह है कि स्थानीय प्रशासन सख्ती करे। मास्क नहीं पहनने व बाजारों में शारीरिक दूरी के नियम का पालन नहीं करने पर भारी भरकम जुर्माना हो। तब हर कोई डर से बचाव के नियमों का पालन करेगा। यह दलील दी जा सकती है कि देश की विशालकाय जनसंख्या को देखते हुए बाजारों में शारीरिक दूरी के नियम का पालन आसान नहीं है लेकिन यही पर स्थानीय प्रशासन की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है और सक्रियता की परख भी होती है। स्थानीय स्तर पर भी भीड़ नियंत्रित रखने के लिए हर संभव कदम उठाने होंगे।

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