ब्रेकिंग
दिल्ली सीमा पर डटे किसानों को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, CJI बोले- बात करके पूरा हो सकता है मकसद UP के अगले विधानसभा चुनाव में ओवैसी-केजरीवाल बिगाड़ सकते हैं विपक्ष का गणित सावधान! CM योगी का बदला मिजाज, अब कार से करेंगे किसी भी जिले का औचक निरीक्षण संसद का शीतकालीन सत्र नहीं चलाने पर भड़की प्रियंका गांधी पाक सेना ने राजौरी मे अग्रिम चौकियों पर गोलीबारी की संत बाबा राम सिंह की मौत पर कमलनाथ बोले- पता नहीं मोदी सरकार नींद से कब जागेगी गृह मंत्री के विरोध में उतरे पूर्व सांसद कंकर मुंजारे गिरफ्तार, फर्जी नक्सली मुठभेड़ को लेकर तनाव मोबाइल लूटने आए बदमाश को मेडिकल की छात्रा ने बड़ी बहादुरी से पकड़ा कांग्रेस बोलीं- जुबान पर आ ही गया सच, कमलनाथ सरकार गिराने में देश के PM का ही हाथ EC का कमलनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश, चुनाव में पैसे के गलत इस्तेमाल का आरोप

इस वित्त वर्ष के अंत तक राज्यों पर कर्ज का बोझ उनकी सकल जीडीपी के 36 फीसद तक पहुंचने की आशंका

नई दिल्ली। आखिरकार विपक्षी सत्ता वाली अंतिम राज्य सरकार झारखंड भी जीएसटी क्षतिपूर्ति पर केंद्र सरकार के फार्मूले को स्वीकार करने को तैयार हो गई है। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने केंद्र सरकार को जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए प्रस्तावित पहले फार्मूले को हरी झंडी दे दी है। अब राज्य को केंद्र सरकार की अनुशंसा पर 1689 करोड़ रुपये का विशेष कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा। कर्ज की अदाएगी के लिए राज्य सरकार अब ज्यादा लंबे समय तक कुछ विशेष उत्पादों पर अतिरिक्त टैक्स वसूल सकेगी। वैसे अब देश के सभी 28 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसा करना होगा क्योंकि सभी ने इसी फार्मूले को अपनाने की मंजूरी दी है।

वित्त मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि, ”झारखंड की स्वीकृति के बाद सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों ने जीएसटी क्षतिपूर्ति पर केंद्र के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। पूर्व में जिन राज्यों ने इस फार्मूले को स्वीकार किया है उनके लिए 30 हजार करोड़ रुपये कर्ज की व्यवस्था पहले ही किया जा चुकी है। इसका वितरण भी 26 राज्यों व दूसरे केंद्र शासित प्रदेशों में हो चुका है। अब अगले चरण में जो कर्ज लिया जाएगा उसमें से छत्तीसगढ़ व झारखंड का भी हिस्सा होगा। 7 दिसंबर, 2020 को अगले चरण के लिए कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा।”

कर्ज की इस अतिरिक्त राशि की अदाएगी के लिए भले ही राज्यों को लंबे समय तक विशेष टैक्स वसूलने की इजाजत होगी लेकिन इसके बावजूद राज्यों पर समग्र कर्ज का बोझ काफी बढ़ जाएगा। सभी राज्यों पर इस वित्त वर्ष के अंत तक कर्ज का बोझ उनके संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद का 36 फीसद हो जाएगा। यह आकलन आर्थिक शोध एजेंसी क्रिसिल की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में की गई है।

इसमें कहा गया है कि पिछले एक दशक में राज्यों को इतना ज्यादा कर्ज कभी नहीं लेना पड़ा है। कोविड-19 की वजह से जीएसटी कलेक्शन में भारी कमी का खामियाजा राज्यों को उठाना पड़ रहा है। उस पर उन्हें अतिरिक्त कर्ज भी लेना पड़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक राज्यों का वित्तीय स्वास्थ्य अगले कुछ वर्षो तक काफी मुश्किल में होगा। वजह यह है कि सभी राज्यों के कुल राजस्व संबंधी व्यय में 75 फीसद हिस्सा ऐसा है जिसमें कोई कटौती नहीं की जा सकती क्योंकि इसमें वेतन, पेंशन व अन्य आवश्यक मद में खर्च किये जाने वाले व्यय हैं।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.