ब्रेकिंग
दिल्ली सीमा पर डटे किसानों को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, CJI बोले- बात करके पूरा हो सकता है मकसद UP के अगले विधानसभा चुनाव में ओवैसी-केजरीवाल बिगाड़ सकते हैं विपक्ष का गणित सावधान! CM योगी का बदला मिजाज, अब कार से करेंगे किसी भी जिले का औचक निरीक्षण संसद का शीतकालीन सत्र नहीं चलाने पर भड़की प्रियंका गांधी पाक सेना ने राजौरी मे अग्रिम चौकियों पर गोलीबारी की संत बाबा राम सिंह की मौत पर कमलनाथ बोले- पता नहीं मोदी सरकार नींद से कब जागेगी गृह मंत्री के विरोध में उतरे पूर्व सांसद कंकर मुंजारे गिरफ्तार, फर्जी नक्सली मुठभेड़ को लेकर तनाव मोबाइल लूटने आए बदमाश को मेडिकल की छात्रा ने बड़ी बहादुरी से पकड़ा कांग्रेस बोलीं- जुबान पर आ ही गया सच, कमलनाथ सरकार गिराने में देश के PM का ही हाथ EC का कमलनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश, चुनाव में पैसे के गलत इस्तेमाल का आरोप

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष व शिया धर्म गुरु मौलाना डॉ कल्बे सादिक का निधन

लखनऊ। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सलन लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ शिया धर्मगुरु मौलाना डॉ. कल्बे सादिक का मंगलवार की देर रात निधन हो गया। ऐरा मेडिकल कॉलज में 17 नवंबर से उनका इलाज चल रहा था। बेटे मौलाना कल्बे सिब्ते नूरी ने बताया कि डॉ. कल्बे सादिक को सांस लेने में परेशानी थी उन्हें आईसीयू में रखा था। कई दिनों से हालत स्थिर बनी हुई थी। उनके रक्तचाप और ऑक्सीजन के स्तर में लगातार गिरावट होने पर उन्हें मंगलवार की शाम आईसीयू में दाखिल किया गया, लेकिन उनका इंतकाल हो गया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने धर्म गुरु मौलाना कल्बे सादिक के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। मौलाना डॉ कल्बे सादिक पूरी दुनिया में अपनी उदारवादी छवि के लिये जाने जाते थे। उन्होंने शिक्षा के लिए बहुत कार्य किए। उनके निधन से राजधानी लखनऊ समेत पूरी दुनिया में शोक की लहर फैल गई। बुधवार को चौक स्थित इमामबाड़ा गुफरमाब में दोपहर बाद उनकी सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा

मौलाना इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि उनका धर्म व जाति से ऊपर उठकर समाज इंसानियत का पाठ पढ़ाया। देश-विदेश में ख्याति प्राप्त डॉ. सादिक शिक्षा और खासकर लड़कियों और निर्धन बच्चों की शिक्षा के लिए हमेशा सक्रिय रहे। यूनिटी कॉलेज और एरा मेडिकल कालेज के संरक्षक भी थे।

मौलाना कल्बे सादिक ने अपनी शुरुआती शिक्षा में अंग्रेजी तो पढ़ते ही थे, लेकिन लालबाग में एक पंडित जी के पास हिंदी पढ़ने जाया करते थे। उस जमाने में उर्दू का ज्यादा चलन था। उस वक्त इसके लिए उनको टोका भी गया कि हिंदी की क्या जरूरत है, क्यों पढ़ने जाते हो? तब वह बुजुर्गों से छुपाकर हिंदी पढ़ने जाया करते थे।

मौलाना कल्बे सादिक एक बड़े जाकिर (इमाम हुसैन की शहादत का हाल बयान करने वाला) भी थे। उन्हें जाकिरे फातेह-ए-फुरात का लब्ज मिला था। वह बड़ी सरलता से बगैर चीखे अपनी बात कहते की बात दिल में उतर जाए। उनके सामईन (श्रोता) का दायरा जैसे-जैसे बढ़ता गया, उसी एतबार से उनकी तकरीर के मौजू (विषय) बदलते गए। उनके श्रोताओं में गैर शिया लोग भी हुआ करते थे। वह हमेशा वह इस बात का ख्याल रखते थे कि हम अपनी बात कहें, कोई ऐसी बात ना करें जिससे किसी के दिल को ठेस पहुंचे।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.