मुखबिरी का राजफाश, बर्खास्त हो सकते तत्कालीन एसओ विनय तिवारी और निलंबित दारोगा केके शर्मा
कानपुर। बिकरू कांड में आरोपित बनाए गए तत्कालीन एसओ चौबेपुर विनय तिवारी और हलका प्रभारी केके शर्मा के खिलाफ विभागीय जांच पूरी हो गई है। एसपी ग्रामीण बृजेश कुमार की जांच में दोनों को मुखबिरी और लापरवाही का दोषी माना गया। विभागीय जांच के बाद अब इनके खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू हो सकती है।
एसएसपी को सौंपी जांच रिपोर्ट
दो जुलाई की रात बिकरू कांड के बाद तत्कालीन एसओ और हलका प्रभारी केके शर्मा की भूमिका संदिग्ध मिली थी। इनकी बातचीत के ऑडियो वायरल हुए थे। प्रारंभिक जांच में इन्हें दोषी मानते हुए गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था और मामले की जांच एसपी ग्रामीण बृजेश कुमार श्रीवास्तव को सौंपी गई थी। एसपी ग्रामीण की जांच में दोनों दोषी पाए गए हैं। शनिवार को एसपी ग्रामीण ने एसएसपी डॉ. प्रीतिंदर सिंह को जांच रिपोर्ट सौंप दी।
कॉल डिटेल बने साक्ष्य
इसमें दोनों पुलिस कर्मियों के मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल रिपोर्ट बतौर साक्ष्य पेश की गई है। बताया गया है कि दो जुलाई को हलका प्रभारी केके शर्मा की विकास दुबे से करीब पांच बार बात हुई थी। जांच रिपोर्ट में केके शर्मा को मुखबिर माना गया है कि उसने दबिश की सूचना विकास को दी थी। दो जुलाई को विनय तिवारी से भी विकास की बातचीत के साक्ष्य मिले हैं। विनय ने किसी दूसरे के मोबाइल से विकास से बात की थी।
नियम 14(1) के तहत होगी कार्रवाई
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, विनय तिवारी और केके शर्मा के खिलाफ अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की दंड-अपील नियमावली 1991 के नियम 14 (1) के तहत कार्रवाई होगी। दोनों की बर्खास्तगी तक की कार्रवाई हो सकती है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.