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CJI पर किए ट्वीट मामले में भी अटॉर्नी जनरल ने कुणाल कामरा के खिलाफ अदालती कार्यवाही शुरू करने को दी मंजूरी

नई दिल्‍ली। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने वकील अनुज सिंह को कामेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ आपराधिक मानहानि की प्रक्रिया शुरू करने की सहमति दे दी है। कामेडियन ने प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे के खिलाफ आपत्तिजनक ट्वीट किया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील अनुज सिंह ने 19 नवंबर को अटार्नी जनरल से सहमति देने का आग्रह किया था। उन्होंने कामरा के खिलाफ उसके ट्वीट के लिए न्यायालय की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 15 के तहत कानूनी प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति मांगी थी।

सिंह को लिखे गए पत्र में वेणुगोपाल ने कहा, ‘मैंने 18 नवंबर को रात 9:46 बजे कुणाल कामरा द्वारा किए गए ट्वीट के संबंध में उसके खिलाफ न्यायालय की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 15 के तहत मांगी गई अनुमति के लिए आपके आग्रह पर विचार किया है।’

मालूम हो कि कामरा ने बीते 11 नवंबर को पत्रकार अर्णव गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद एक के बाद एक कई ट्वीट किये थे। इन ट्वीट्स में सुप्रीम कोर्ट और न्‍यायमूर्तियों के बारे में कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी की गई थी। यही नहीं बीते शुक्रवार को कामरा ने अपने विवादित ट्वीट हटाने या उनके लिए माफी मांगने से भी इनकार कर दिया था।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल (Attorney General KK Venugopal) पहले ही सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ विवादित ट्वीट मामले में कामरा के खिलाफ अवमानना का केस चलाए जाने को मंजूरी दे चुके हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, इस बार मुख्‍य न्‍यायाधीश एसए बोबड़े पर ट्वीट करने को लेकर अवमानना का केस चलाए जाने को मंजूरी दी गई है। बीते 18 नवंबर को कामरा ने अपने ट्वीट में कहा था… ‘इन दो उंगलियों में से एक चीफ जस्टिस एस ए बोबडे के लिए। कन्फ्यूज होने की जरूरत नहीं है, मिडिल फिंगर।’

दरअसल, न्यायालय की अवमानना कानून में प्रावधान है कि किसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में क्रिमनल अवमानना की याचिका दाखिल करने के लिए अटार्नी जनरल या सालिसिटर जनरल की सहमति जरूरी होती है। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत के बारे में किए गए कुणाल कामरा के ट्वीट्स को न्यायालय की अवमानना माना है। ऐसे में अटार्नी जनरल की मंजूरी के बाद अब कामरा के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू हो सकती है। वैसे अदालत खुद मामले को संज्ञान में लेकर आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू कर सकती है।

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हाल ही में कामरा द्वारा सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर एक संसदीय समिति ने ट्विटर से भी जवाब तलब किया था। संसदीय समिति ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट से पूछा था कि आखिर कॉमेडियन के विवादास्‍पद ट्वीट पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने बताया था कि समिति ने ट्विटर से सात दिन के भीतर जवाब देने को कहा है। लेखी के मुताबिक, कामरा के ट्वीट पर ट्विटर ने कहा है कि जब तक अदालत इस तरह के आदेश जारी नहीं करती तब तक पोस्ट को नहीं हटाया जा सकता है।

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