ब्रेकिंग
दिल्ली सीमा पर डटे किसानों को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, CJI बोले- बात करके पूरा हो सकता है मकसद UP के अगले विधानसभा चुनाव में ओवैसी-केजरीवाल बिगाड़ सकते हैं विपक्ष का गणित सावधान! CM योगी का बदला मिजाज, अब कार से करेंगे किसी भी जिले का औचक निरीक्षण संसद का शीतकालीन सत्र नहीं चलाने पर भड़की प्रियंका गांधी पाक सेना ने राजौरी मे अग्रिम चौकियों पर गोलीबारी की संत बाबा राम सिंह की मौत पर कमलनाथ बोले- पता नहीं मोदी सरकार नींद से कब जागेगी गृह मंत्री के विरोध में उतरे पूर्व सांसद कंकर मुंजारे गिरफ्तार, फर्जी नक्सली मुठभेड़ को लेकर तनाव मोबाइल लूटने आए बदमाश को मेडिकल की छात्रा ने बड़ी बहादुरी से पकड़ा कांग्रेस बोलीं- जुबान पर आ ही गया सच, कमलनाथ सरकार गिराने में देश के PM का ही हाथ EC का कमलनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश, चुनाव में पैसे के गलत इस्तेमाल का आरोप

बिहार चुनाव में नोटा ने बिगाड़ा खेल, 30 सीटों पर हार-जीत के अंतर से अधिक मिले वोट

[responsivevoice_button voice="Hindi Female" buttontext="खबर सुनें "]

नई दिल्ली। 2013 में सुप्रीट कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने आम जनता को नोटा का विकल्प दिया था। इसका मतलब यह था कि अगर आपको कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है तो आप नोटा का बटन दबा सकते हैं। इसका अर्थ है कि ‘इनमें से कोई नहीं’। बीते चुनावों में लोगों ने जमकर नोटा का बटन दबाया था। 2015 में जहां कुल वोट शेयर का 2.5 प्रतिशत ने नोटा का इस्तेमाल किया था, वहीं 2020 के चुनावों में 1.7 फीसद लोगों ने नोटा का प्रयोग किया। वहीं, इस बार 30 सीटें ऐसी थीं, जहां हार-जीत का अंतर नोटा को मिले मतों से कम था। 2015 के चुनावों में ये सीटें 21 थीं। बीते चुनावों के मुकाबले इस बार नोटा को कम मत मिला। इस बार नोटा को करीब सात लाख मत मिले, जबकि पिछली बार करीब साढ़े नौ लाख मत मिले थे।

जदयू की 13 सीटों पर जीत के अंतर से अधिक नोटा

बिहार विधानसभा के इस बार के चुनावों में नोटा ने कई सीटों पर काम बिगाड़ा है। जनता दल यूनाइटेड की 13 सीटें ऐसी थीं, जहां पर नोटा को जीत के अंतर से अधिक मत मिले। राष्ट्रीय जनता दल की भी जीती हुई 7 सीटों पर हार-जीत के अंतर से नोटा ने अधिक वोट हासिल किए। वहीं बीजेपी और कांग्रेस की क्रमश: 4 और 3 सीटें ऐसी थीं, जहां नोटा ने हार-जीत के अंतर से अधिक मत पाए। 2020 के चुनावों में भाजपा को 19.46 प्रतिशत, जेडीयू को 15.39 फीसद, राजद को वोट शेयर 23.11 फीसद वोट मिले हैं।

वीआईपी, बीएसपी और ओवेसी की पार्टी को नोटा से कम वोट मिले

चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले ओवेसी की पार्टी एआईएमआईएम और वीआईपी का वोट शेयर नोटा से कम रहा। इन दोनों पार्टियों को क्रमश: पांच और चार सीटें मिलीं। एआईएमआईएम का वोट शेयर 1.24 फीसद, हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा का 0.89 फीसद, बहुजन समाज पार्टी का 1.49 और वीआईपी पार्टी का वोट शेयर 1.52 फीसद था। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) को क्रमश: 0.83 फीसद और 0.65 फीसद मत मिले।

कांटे का रहा मुकाबला

2020 के चुनावों में महागठबंधन और एनडीए के बीच कांटे का मुकाबला रहा। चुनावों में राजद सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई। उसने 75 सीटें हासिल कीं और दूसरे नंबर पर रही भारतीय जनता पार्टी ने 74 सीटों पर जीत दर्ज की। जदयू ने 43, कांग्रेस ने 19 और अन्य दलों और निर्दलीय के खाते में 31 सीटें गईं। बहुजन समाज पार्टी को 1, एआईएमआईएम को 5, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 2, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (एम) को 2, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया(मार्क्सवादी-लेनिनवादी)(एल) को 12, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा को, लोकजनशक्ति पार्टी को 1, विकासशील इंसान पार्टी को 4 सीटें और निर्दलीय को एक सीट मिली।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.