नक्सलियों के गढ़ में भी रही लोकतंत्र की जय-जय
मोतिहारी । कोरोना व नक्सल गतिविधियों के डर के बावजूद भी मधुबन विधानसभा के मतदाताओं ने जिस उत्साह का प्रदर्शन किया, उसकी कल्पना भी नहीं की गई थी। नक्सल प्रभावित इलाकों में बेशक सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध थे। यहां के तमाम मतदान केंद्रों पर पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। शाम के 5 बजे तक यहां कुल 61 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर लिया था। यहां बता दें कि मधुबन कभी नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था। वर्ष 2005 में यह क्षेत्र तब चर्चा में आया था जब एक साथ 300 से ज्यादा नक्सलियों ने धावा बोल दिया था। स्थानीय पंकज कुमार बताते हैं कि यह सुखद है कि लोग बिना किसी भय के वोट के लिए अपने घरों से बाहर निकल रहे हैं। पकड़ीदयाल, फेनहारा, शेखपुरवा सहित तमाम जगहों पर वोट देने के लिए मतदाताओं की लंबी कतार लगी रही। आधी आबादी ने भी भारी तादाद में मतदान प्रक्रिया में अपनी सहभागिता निभाई। बूथ संख्या 190 पर मतदान के लिए पहुंची अनिता देवी की माने तो मधुबन अब बदल चुका है। अब डरने जैसी कोई बात नहीं है। फेनहारा रुपौलिया के संतोष पाण्डेय ने कहा कि देखिए, अब यहां नक्सली हवा है। लोकतंत्र की जय-जयकार है। लोग स्वेच्छापूर्वक बिना भय के घरों से निकलकर वोट देने आ रहे हैं। बता दे कि मधुबन विधानसभा सीट से राज्य सरकार में सहकारिता मंत्री और बीजेपी नेता राणा रणधीर चुनावी मैदान में हैं। उनके सामने महागठबंधन की ओर से आरजेडी के टिकट पर मदन साह पहली बार चुनावी ताल ठोक रहे हैं। वहीं, यहां के पूर्व विधायक शिवजी राय भी इस बार जाप के टिकट पर मैदान में उतर आए हैं। 2015 के चुनाव में जब बीजेपी और जेडीयू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा तब भी इस सीट पर बीजेपी ने अपना कब्जा जमाया था।
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