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दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति की जा सकती है कुर्सी, राष्ट्रपति ने जांच की दी मंजूरी

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश त्यागी के खिलाफ राष्ट्रपति ने उच्च स्तरीय जांच की अनुमति दे दी है। कुलपति के खिलाफ प्रशासनिक अनियमितताओं से जुड़े ढेरों मामले सामने आने के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने पिछले दिनों सख्त रूख दिखाते हुए उनके खिलाफ उच्च स्तरीय जांच कराने का फैसला लिया था। साथ ही इसे लेकर राष्ट्रपति से अनुमति मांगी थी। मंगलवार को राष्ट्रपति से अनुमति मिलने के बाद मंत्रालय ने कमेटी के गठन का काम भी शुरू कर दिया है।

प्रशासनिक अनियमितताओं से जुड़े मामले में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने मांगी थी अनुमति

केंद्रीय शिक्षा मंत्री निशंक ने दिल्ली विवि के कुलपति के खिलाफ जांच का यह फैसला उस समय लिया था, जब विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश त्यागी ने मेडीकल अवकाश के दौरान ही विश्वविद्यालय में एक नए प्रो-वीसी और रजिस्ट्रार की नियुक्त कर दी। जिसके चलते विश्वविद्यालय में अफरा-तफरी फैल गया।

प्रवेश प्रक्रिया के दौरान विश्वविद्यालय में बनी इस स्थिति से अव्यवस्था की स्थिति बन गई थी। आखिरकार इस पूरे मामले के सामने आने के बाद शिक्षा मंत्रालय ने कड़ा कदम उठाया। मंत्रालय ने मंगलवार को राष्ट्रपति से कुलपति के खिलाफ जांच की मंजूरी मिलने की पुष्टि की है। साथ ही जल्द की जांच कर कुलपति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए है।

कुलपति पर मेडिकल लीव के दौरान गलत तरीके से प्रो-वीसी और रजिस्ट्रार को नियुक्त करने का आरोप

इसके साथ ही इस विवाद में शामिल और रजिस्ट्रार बनाए गए पीसी झा के खिलाफ भी मंत्रालय ने कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए है। जिसमें उन्हें निलंबित भी किया जा सकता है। मंत्रालय के मुताबिक उन्हें विश्वविद्यालय की ओर से नोटिस दिया गया है, जिसमें एक दिन में उन्हें जबाव देना है। इसके बाद कार्रवाई तय की जाएगी। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े इस विवाद को लेकर केंद्रीय मंत्री निशंक ने पिछले दिनों अधिकारियों की एक बैठक की थी, जिसमें ऐसे मामलों में किसी भी न बख्‍शने की साफ हिदायत दी थी।

मंत्रालय इससे भी नाखुश है, क्योंकि कुलपति ने छुट्टी के दौरान यह नियुक्ति की थी। साथ ही इस मामले में प्रो-वीसी पी सी जोशी को भी विश्वास में नहीं लिया था। वहीं प्रोफेसर जोशी की आपत्ति के बाद उन्हें भी छुट्टी पर रहने के दौरान ही हटाते हुए उनकी जगह नए प्रो-वीसी की नियुक्ति कर कर दी थी। मंत्रालय ने इस मामले दखल देते हुए कुलपति के फैसले को गलत बताते हुए उनकी नियुक्तियों को खारिज कर दिया।

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