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चीन को सबक सिखाने के लिए अमेरिका ने खेला “तिब्बत कार्ड”, ड्रैगन को मिर्ची लगना तय

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लॉस एंजलिसः चीन के साथ बिगड़ते संबंधों को लेकर अमेरिका अब ड्रैगन को सबक सिखाने के मूड में है । चीन की आक्रमकता का जवाब देने के लिए अमेरिका ने ऐसा तिब्बत कार्ड खेला है कि ड्रैगन बैकफुट पर आने को मजबूर हो गया है। ट्रंप प्रशासन ने सहायक सचिव रॉबर्ट ए डेस्ट्रो को तिब्बती मुद्दों के लिए विशेष सचिव  (special coordinator) के रूप में नामित किया है। वे इस क्षेत्र में चीन के मानवाधिकार उल्लंघन और तिब्बती लोगों की समस्याओं पर बारीकी से नजर रखेंगे। चीन मामलों के जानकार विशेषज्ञों ने कहा है कि अमेरिका के हाल के फैसलों से है। अभी दो महीने पहले ही चीन ने चेंगदू में स्थित अमेरिकी वाणिज्यिक दूतावास को तिब्बत में जासूसी करने के आरोप में बंद किया था।

ट्रंप प्रशाासन ने कहा है कि वे पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के बीच संवाद को बढ़ावा देने के अमेरिकी प्रयासों का नेतृत्व करेंगे। इसके अलावा वे तिब्बतियों की अद्वितीय धार्मिक सांस्कृतिक और भाषाई पहचान की रक्षा करेंगे। वे उनके मानवाधिकारों की रक्ष के लिए दबाव बनाएंगे। डेस्ट्रो इस क्षेत्र में मानवीय जरूरतों को संबोधित करने के अमेरिकी प्रयासों का भी समर्थन करेंगे। तिब्बत में अत्याचार करने वाले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों के ऊपर अमेरिका पहले ही प्रतिबंध लगा चुका है। अमेरिका ने रेसिप्रोकल ऐक्सेस टू तिब्बत कानून के तहत चीन के अधिकारियों के एक समूह पर वीजा प्रतिबंध लगाया था। अमेरिका ने आरोप लगाया था कि ये अधिकारी तिब्बत में विदेशियों की पहुंच को रोकने का काम कर रहे थे।

अमेरिका ने रेसिप्रोकल ऐक्सेस टू तिब्बत कानून (तिब्बत में पारस्परिक पहुंच कानून), 2018 में बनाया था। इसे अमेरिका में कानून के रूप में दिसंबर 2018 में मान्यता दी गई थी। यह उन चीनी अधिकारियों के अमेरिका में प्रवेश को रोकने से संबंधित है जो तिब्बत में विदेशियों के प्रवेश को रोकने का काम करते हैं। दरअसल अमेरिका शुरू से ही तिब्बत की स्वायत्तता का समर्थन करता रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भी कुछ दिन पहले कहा था कि हम तिब्बती लोगों की सार्थक स्वायत्तता के लिए, उनके बुनियादी तथा अहस्तांतरणीय मानवाधिकारों के लिए, उनके विशिष्ट धर्म, संस्कृति और भाषायी पहचान को संरक्षित रखने की खातिर काम करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।

बता दें कि भारत में रह रहे तिब्बत के निर्वासित धार्मिक नेता दलाई लामा तिब्बत के लोगों के लिए सार्थक स्वायत्तता की मांग करते रहे हैं। लेकिन चीन 85 वर्षीय दलाई लामा को अलगाववादी मानता है। पोम्पियो ने कहा कि सही मायनों में पारस्परिकता कायम के लिए हम अमेरिकी कांग्रेस के साथ मिलकर काम करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि अमेरिकी लोगों की टीएआर तथा अन्य तिब्बती इलाकों समेत चीनी जन गणराज्य के सभी क्षेत्रों में पूर्ण पहुंच हो। बजट दस्तावेजों के मुताबिक विदेश मंत्रालय ने एक अक्टूबर से शुरू हुए वित्त वर्ष 2021 में तिब्बती मुद्दों की खातिर 1.7 करोड़ डॉलर के कोष तथा तिब्बती मुद्दों पर विशेष समन्वयक के लिए दस लाख डॉलर के कोष का प्रस्ताव दिया है।

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