मुजफ्फरपुर की बोचहां सीट पर मुसाफिर पासवान को मिला वीआइपी का साथ, बेबी कुमार को दर्द, अब इस रूप में बदल सकता समीकरण
मुजफ्फरपुर। इसी दिन के लिए ही किसी ने सच ही कहा है कि राजनीति में कुछ स्थाई नहीं होता। संभावनाएं हमेशा बनी रहती हैं और कभी भी कुछ भी हो सकता है। मुजफ्फरपुर की बोचहां सुरक्षित सीट पर उम्मीदवारी को ही लें। भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष बेबी कुमारी को ही लें। वह वर्तमान विधायक हैं और प्रदेश उपाध्यक्ष। यह मानकर ही चला जा रहा था कि यहां से वह भाजपा की उम्मीदवार होंगी। जब सीटों का बंटवार होने लगा तो यह सीट वीआइपी के कोटे में चली गई। फिर भी यही कहा गया कि वीआइपी अभी नई पार्टी है इसलिए प्रत्याशी भाजपा होगा और सिंबल वीआइपी। उस समय तक यह माना जा रहा था कि वह एनडीए की उम्मीदवार होंगी।
लेकिन, समय का चक्रम ऐसा घूमा कि पूर्व विधायक मुसाफिर पासवान ने बेबी कुमारी का रास्ता रोक लिया। वे सिंबल हासिल करने में सफल रहे। इस तरह वर्ष 2015 की याद ताजा हो गई। जब लोजपा ने उन्हें एक बार सिंबल देकर उसे वापस कर लिया था। कुछ उसी तरह की स्थिति इस बा र भी हुई है। महागठबंधन की ओर से राजद ने पुराने खिलाड़ी व पूर्व मंत्री रमई राम पर दाव लगाया।
वर्तमान विधायक बेबी कुमारी का अगला कदम क्या होगा, इसके बारे में अभी उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया तो नहीं आई है लेकिन प्रेक्षक ऐसा मान रहे हैं कि वह हार नहीं मानेंगी। घोषणा के अनुसार लोजपा जदयू के अलावा वीआइपी वाली सीट पर भी अपना उम्मीदवार देगी। ऐसे में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि बेबी कुमारी पुराने जख्मों को भूल एक बार फिर शायद लोजपा के पास जाएं और वहां से टिकट हासिल करने की कोशिश करें। इसमें वह किस हद तक कामयाब हो पाएंगी। यह अभी कह पाना मुश्किल होगा। यदि वह वहां भी सफल नहीं हाेती हैं तो एक चीज तो है कि वह निर्दल तो मैदान में उतर ही सकती हैं। वर्तमान में भी उन्हें बतौर निर्दल उम्मीदवार ही सफलता हासिल हुई थी।
बोचहां विधानसभा सीट में 134142 पुरुष, 118262 महिला व 03 थर्ड जेंडर मतदाता हैं। वर्ष 2015 के चुनाव में निर्दल बेबी कुमारी ने 67720 वोट हासिल कर जदयू के रमई राम को हराया था। वर्ष 2010 में जदयू के रमई ने उस राजद के सिंबल पर मैदान में उतरे मुसाफिर पासवान को हराया था। बोचहां सीट पर लंबे समय तक रमई राम चुनाव जीतते रहे हैं। बिहार की राजनीति में भाजपा व जदयू का गठबंधन हुआ। उसके बाद इस सीट पर भाजपा की पकड़ मजबूत हुई है। पिछले चुनाव में भाजपा नेता बेबी कुमारी बागी होकर चुनाव लड़ी और जीत दर्ज की। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की पकड़ बरकरार रही है। इस तरह यह कहा जा सकता है कि यहां मुकाबला त्रकोणीय होगा।
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