ब्रेकिंग
दिल्ली सीमा पर डटे किसानों को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, CJI बोले- बात करके पूरा हो सकता है मकसद UP के अगले विधानसभा चुनाव में ओवैसी-केजरीवाल बिगाड़ सकते हैं विपक्ष का गणित सावधान! CM योगी का बदला मिजाज, अब कार से करेंगे किसी भी जिले का औचक निरीक्षण संसद का शीतकालीन सत्र नहीं चलाने पर भड़की प्रियंका गांधी पाक सेना ने राजौरी मे अग्रिम चौकियों पर गोलीबारी की संत बाबा राम सिंह की मौत पर कमलनाथ बोले- पता नहीं मोदी सरकार नींद से कब जागेगी गृह मंत्री के विरोध में उतरे पूर्व सांसद कंकर मुंजारे गिरफ्तार, फर्जी नक्सली मुठभेड़ को लेकर तनाव मोबाइल लूटने आए बदमाश को मेडिकल की छात्रा ने बड़ी बहादुरी से पकड़ा कांग्रेस बोलीं- जुबान पर आ ही गया सच, कमलनाथ सरकार गिराने में देश के PM का ही हाथ EC का कमलनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश, चुनाव में पैसे के गलत इस्तेमाल का आरोप

कोसी और पूर्व बिहार में चुनाव से पहले ही आधी आबादी ने दिखाई धमक

भागलपुर। आधी आबादी के संबंध में हर तरह की घोषणाएं की जाती हैं, लेकिन जब चुनाव का समय आता है तो उन्हें उपेक्षित कर दिया जाता है। यह उपेक्षा सिर्फ राजनीति में नहीं, घर से लेकर बाहर तक होती है। ऐसी स्थिति में इस बार सात एजेंडों पर महिलाओं ने अपने जनप्रतिनिधियों को शपथ पत्र भरकर देने को कहा है। पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल के 13 जिलों में इस मुहिम के शुरू होने से कहीं जनप्रतिनिधि उत्साहित हैं तो कहीं वे इसे झमेला मान रहे हैं।

महिलाओं की प्रमुख मांगों में पंचायत स्तर पर विवाह का पंजीकरण कराना भी शामिल है। इस मुहिम का नेतृत्व कर रही कैपेंन अगेंस्ट चाइल्ड ट्रैफिकिंग (सीएसीटी), बिहार की संयोजक शिल्पी सिंह का कहना है कि महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध में भी बिहार पीछे नहीं है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने 2019 में जो रिपोर्ट जारी की है, उसमें इस बात का उल्लेख किया गया है कि 1201 लड़के और 3904 लड़कियां 2018 में गायब हुई हैं। 2019 में 1364 लड़के और 5935 लड़कियां गायब हुई हैं। इनकी खोजबीन में किसी की दिलचस्पी नहीं है। इसी तरह बाल विवाह का आंकड़ा भी भयावह है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 42.5 फीसद लड़कियां 18 वर्ष पूरे होने के पहले ब्याह दी जाती हैं। पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल में जमुई बाल विवाह के मामले में सबसे ऊपर है। इन लड़कियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव भी पड़ता है। इन इलाकों में दुष्कर्म की भी स्थिति भयावह है। इन सब चीजों को देखते हुए संगठन ने इस बार लड़कियों या महिलाओं की समस्या को चुनावी मुद्दा बनाने का प्रयास किया है। इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा इस बात को बनाने की कोशिश की जा रही है कि विवाह का पंजीकरण पंचायत में हो। इसका फायदा यह होगा कि विवाह के नाम पर ट्रैफिकिंग रुक जाएगी।

ये होंगे मुद्दे

1. ग्राम पंचायत स्तर पर विवाह का पंजीकरण हो।

2. जिला स्तर पर प्रवासियों का रिकॉर्ड अनिवार्य रूप से बने।

3. ग्राम पंचायत में वार्ड स्तर पर बाल संरक्षण समितियों को मजबूत बनाया जाए।

4. स्कूल-कॉलेजों के पाठ्यक्रम को जेंडर सेंसेटिव बनाया जाए।

5. विद्यालय के पाठ्यक्रम में भी मानव तस्करी के बारे में जानकारी दी जाए।

6. मानव तस्करी में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कानून बने।

7. महिलाओं के हक के लिए पंचायत स्तर पर समिति बने।

20 से 24 वर्ष के बीच की ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं जिनका विवाह 18 वर्ष से पहले कर दिया गया

जिला : आंकड़ा आबादी के अनुपात में (प्रतिशत में)

अररिया : 49.0

पूॢणया : 39.4

भागलपुर : 35.8

खगडिय़ा : 51.8

किशनगंज : 25.4

कटिहार : 40.4

सहरसा : 45.5

सुपौल : 60.7

बांका : 49.4

लखीसराय : 48.4

जमुई : 62.0

मधेपुरा : 60.2

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.