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राष्ट्रपति ने तीनों कृषि विधेयकों को मंजूरी दी, जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक पर भी मुहर

नई दिल्‍ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कृषि सुधार से जुड़े तीन विधेयकों को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही तीनों विधेयक अब कानून बन गए हैं। इनमें कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक शामिल हैं। इन तीनों विधेयकों को संसद ने मानसून सत्र में विपक्ष के जोरदार विरोध के बीच पारित किया था। मौजूदा वक्‍‍‍त में कृषि विधेयकों को लेकर हंगामा मचा है। किसानों के साथ साथ विपक्षी दलों के नेता इनके खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शनों में शामिल हो रहे हैं।

इसके साथ ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 को भी मंजूरी दे दी। इस मंजूरी के बाद इस विधेयक ने कानून का रूप ले लिया है। इस कानून के जरिए जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषाओं की सूची में उर्दू और अंग्रेजी के अतिरिक्त कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को शामिल किया गया है। हाल में मानसून सत्र के दौरान संसद ने जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक को पारित किया था। जारी गजट अधिसूचना के मुताबिक, जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 को राष्ट्रपति ने 26 सितंबर को अपनी मंजूरी दी है…

कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक किसानों को उनकी उपज देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति या संस्था को बेचने की इजाजत देता है। इसके जरिये एक देश, एक बाजार की अवधारणा लागू की जाएगी। किसान अपना उत्पाद खेत में या व्यापारिक प्लेटफॉर्म पर देश में कहीं भी बेच सकेंगे। वहीं किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक बोआई से पहले किसान को अपनी फसल को तय मानकों और तय कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने की सुविधा प्रदान करता है। इससे किसान का जोखिम कम की बात कही जा रही है।

बीते दिनों इन विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान राज्‍यसभा में विपक्ष ने भारी हंगामा किया था। राज्‍यसभा में विपक्षी सांसदों ने हल्ला और शोरगुल के बीच धक्कामुक्की, माइक की तोड़फोड़, रूल बुक के पन्ने फाड़कर फेंक दिए थे। बाद में आठ सदस्‍यों के खिलाफ अनुशासनात्‍मक कार्रवाई भी की गई थी। यही नहीं विपक्ष ने राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद से इन विधेयकों पर हस्‍ताक्षर नहीं करने और इन्‍हें लौटाने की गुहार लगाई थी। इन विधेयकों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए से नाता तक तोड़ लिया…

कृषि से जुड़े विधेयकों को लेकर तेज राजनीति और कुछ हिस्सों में विरोध प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में किसानों के बीच इन विधेयकों को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने की कोशिश की। साथ ही मंडी कानून की बंदिशों को तोड़कर बाहर निकले किसानों की सफलता के कुछ रोचक किस्से भी सुनाए। उन्होंने कहा कि देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान और गांव ही आत्मनिर्भर भारत का आधार है। पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु के किसानों से जुड़े कुछ रोचक किस्से साझा किए।

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