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पटरी पर लौट सकते हैं भारत-नेपाल के रिश्ते, काठमांडू जाएंगे विदेश सचिव

नई दिल्लीः भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला नेपाल की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर बृहस्पतिवार को काठमांडो पहुंचेंगे। इस यात्रा के दौरान वह अपने नेपाली समकक्ष भरतराज पौडयाल के साथ वार्ता करेंगे और द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे। यह जानकारी भारत और नेपाल के विदेश मंत्रालयों ने सोमवार दी। उनकी 26-27 नवंबर को होने वाली यह यात्रा सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के रिश्तों में आए तनाव के बीच हो रही है। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि श्रृंगला की यात्रा विदेश सचिव पौडयाल के निमंत्रण पर हो रही है। यह दो मित्र पड़ोसी देशों के बीच होने वाली नियमित उच्च स्तरीय यात्राओं का हिस्सा है।

मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि यात्रा के पहले दिन, दोनों विदेश सचिव द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और नेपाल एवं भारत के बीच सहयोग के व्यापक क्षेत्रों पर चर्चा करेंगे। बयान में कहा गया कि उनका नेपाल के उच्च स्तरीय नेताओं से मिलने का कार्यक्रम है। श्रृंगला नेपाल सरकार को कोविड-19 से संबंधित राहत सामग्री भी सौंपेंगे। वह शुक्रवार को नई दिल्ली रवाना हो जाएंगे।

वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत के नेपाल के साथ ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध हैं और हाल के सालों में भारत और नेपाल के बीच द्विपक्षीय सहयोग मजबूत हुआ है और बुनियादी ढांचे से संबंधित प्रमुख परियोजनाएं और सीमा-पार कनेक्टिविटी से जुड़ी परियोजनाएं भारत की मदद से पूरी हुई हैं। उसने कहा कि यह यात्रा हमारे द्विपक्षीय संबंधों को और आगे ले जाने का एक मौका है।

इस महीने के शुरू में, भारत के सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे भी तीन दिवसीय यात्रा पर नेपाल गए थे। इस दौरान उन्होंने नेपाल के शीर्ष नेतृत्व से वार्ता की थी और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की थी। अपनी यात्रा के दौरान नरवणे ने नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मुलाकात थी। ओली के पास ही देश के रक्षा मंत्री का जिम्मा है। ओली ने उनसे कहा था कि नेपाल और भारत के बीच की समस्याओं को वार्ता के जरिए हल किया जाएगा।

गौरतलब है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मई में उत्तराखंड में लिपुलेख पास को धारचुला से जोड़ने वाले सामरिक दृष्टि से अहम 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्धाटन किया था, जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया था। नेपाल ने इस पर आपत्ति जताते हुए दावा किया था कि यह उसके क्षेत्र से गुजरता है। इसके कुछ दिन बाद, नेपाल एक नया नक्शा लेकर आया जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपना क्षेत्र बताया। इस पर भारत ने आपत्ति जताई।

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