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नई दिल्ली। मौजूदा वित्त वर्ष अर्थात 2020-21 की पहली छमाही में देश के स्वर्ण आयात में 57 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। स्वर्ण आयात देश के चालू खाते घाटे (CAD) में एक अहम स्थान रखता है। इसका कम होना चालू खाते घाटे की दृष्टि से एक अच्छी बात है। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही अर्थात अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 के बीच देश का स्वर्ण आयात घटकर 6.8 अरब डॉलर (करीब 50,658 करोड़ रुपये) का रहा है। देश के स्वर्ण आयात में इस भारी कमी का सबसे बड़ा कारण कोरोना वायरस महामारी के चलते मांग में कमी आना है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।

गौरतलब है कि इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में देश का स्वर्ण आयात 15.8 अरब डॉलर या 1,10,259 करोड़ रुपये का रहा था। देश के स्वर्ण आयात की तरह ही चांदी के आयात में भी चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में गिरावट दर्ज की गई है। अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 के दौरान चांदी के आयात में 63.4 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। इससे इस अवधि में चांदी का आयात घटकर 73.35 करोड़ डॉलर या 5,543 करोड़ रुपये दर्ज किया गया।

देश में सोने और चांदी के आयात में गिरावट का एक सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि इससे देश के चालू खाते घाटे में कमी आई है। चालू खाता घाटा आयात और निर्यात का अंतर ही होता है। यहां बता दें कि अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 की अवधि में देश का चालू खाता घाटा घटकर 23.44 अरब डॉलर रहा है। वही, इससे पहले पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 88.92 अरब डॉलर रहा था।

गौरतलब है कि हमारा देश भारत दुनिया के सबसे बड़े स्वर्ण आयातकों में से है। भारत में सोने का आयात मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए किया जाता है। भारत सालाना 800 से 900 टन सोने का आयात करता है। मौजूदा वित्त वर्ष (2020-21) की पहली छमाही में रत्न एवं आभूषणों के निर्यात में भी गिरावट आई है। यह इस दौरान 55 फीसद घटकर 8.7 अरब डॉलर रहा है।

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