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मध्य प्रदेश में जगह-जगह खोले जाएंगे स्कूल, रानी पद्मावती का पाठ पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएगा

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भोपाल। मध्य प्रदेश में कोई भी स्कूल बंद नहीं होगा, पर दस हजार स्कूलों का ऐसा मॉडल बनाया जाएगा, जहां एक जगह पर विद्यार्थियों को सभी सुविधाएं मिलें। यह स्कूल गुणवत्तायुक्त शिक्षा का केंद्र बनेंगे। छठवीं से चुनिंदा स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा की शुरआत की जाएगी। नैतिक शिक्षा के लिए पाठ्यक्रमों में महापुरषषों की जीवनियां शामिल की जाएंगी। शिक्षकों के सम्मान में कोई कसर नहीं छोडेंगे। 20 से 25 किमी के दायरे में पूर्ण विकसित स्कूल खोले जाएंगे। सभी विभागों में भर्ती शुरू होगी। रानी पद्मावती का पाठ पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएगा। यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से 145 स्कूल और छात्रावास भवनों का लोकार्पण करते हुए कही।

भोपाल के मिंटो हॉल में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने अभिभावकों से पूछा कि मन में विचार यह आता है कि ऐसा स्कूल हो जहां प्रयोगशाला, पुस्तकालय, सभी विषषयों के शिक्षक, शिक्षक निवास और खेलकूद परिसर हो। आस–पास के 25 गांवों के बच्चों प़ढने आएं। बसों में बैठकर आएं। दिनभर अध्ययन करें और शाम को घर लौट जाएं, इस पर आपका क्या विचार है। सबने इसका समर्थन किया तो मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले तीन साल में ऐसे दस हजार स्कूल परिसर तैयार किए जाएंगे। शिक्षकों की सभी समस्याओं का भी समाधान होगा। अध्यापक संवर्ग बनाकर सबको समाहित किया जा चुका है। शिक्षक भर्ती सहित अन्य सरकारी पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, पर सभी को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती है। इसके लिए नए क्षेत्र भी तलाशने होंगे। शिक्षा के साथ-साथ कौशल भी जरूरी है। चिन्हित स्कूलों में छठी कक्षा से ही व्यावसायिक शिक्षा दी जाएगी। बच्चों को नैतिक शिक्षा देने के लिए पाठ्यक्रमों में महापुरषषों की जीवनियां पढ़ाई जाएंगी। रानी पद्मावती का पाठ अगले सत्र में जोड़ा जाएगा। विद्यार्थियों से उन्होंने कहा कि अभी कोरोनाकाल है। आठवीं तक के बच्चों को स्कूल नहीं आने देंगे। दीपावली के बाद स्कूल खोलेंगे।

इस दौरान लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि परियोजना क्रियान्वयन इकाई ने समय सीमा के भीतर इन निर्माण कार्यो को पूरा किया है। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि कोरोना के कारण शिक्षा में रकावट की स्थिति बनने लगी थी, लेकिन विभाग ने सूचना तकनीकी का सहारा लेकर शिक्षा का काम जारी रखा। पुस्तकें भी बच्चों को वितरित की जा चुकी हैं। कार्यक्रम में उमरिया से आदिम जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह और भोपाल से विधानसभा के सामयिक अध्यक्ष रामेश्वर शर्मा जुड़े।

समाप्त हो दोहरी शिक्षा व्यवस्था

मुख्यमंत्री ने कहा कि दोहरी शिक्षा व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए। पब्लिक स्कूल, जहां संपन्न वर्ग के बच्चे प़़ढते हैं और दूसरी ओर सरकारी स्कूल में गरीब, किसान और मध्यम वर्ग के व्यक्तियों के बेटा-बेटी पढ़ते हैं। बच्चों में प्रतिभा और क्षमता तो समान होती है पर अवसर नहीं। यह दोहरी शिक्षा व्यवस्था समाप्त हो। सरकारी व्यवस्था को इतनी बेहतर करें कि यह निजी के ऊपर निकल जाए।मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे पुलिस विभाग हो या शिक्षा-स्वास्थ्य, सभी विभागों में हजारों पदों पर भर्ती की जाएगी। गैर सरकारी क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएंगे। हमारे शिक्षक राष्ट्र के निर्माता होते हैं। बच्चों में कौशल विकास बहुत जरूरी है। अब कक्षा छठी से बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा दी जाएगी।

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