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अयोध्या ढांचा विध्वंस केस : 49 आरोपित, 351 गवाह, 50 मुकदमे और 28 साल तक केस, जानें तारीखों के आईने में पूरा घटनाक्रम

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लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की गति तेज हो गई है। दूसरी तरफ छह दिसंबर, 1992 के विवादित ढांचा ध्वंस मामले की सुनवाई लखनऊ की सीबीआइ की विशेष अदालत में चलती रही। अदालत आज यानी 30 सितंबर को इस मामले में फैसला सुनाने जा रही है। आइए, डालते हैं पूरे घटनाक्रम पर एक नजर…

छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया। इस पर हिंदू और मुसलमान दोनों अपने-अपने दावे करते थे। हिंदू पक्ष का कहना रहा कि अयोध्या में ढांचे का निर्माण मुगल शासक बाबर ने वर्ष 1528 में श्रीराम जन्मभूमि पर कराया था, जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई थी। मंदिर आंदोलन से जुड़े संगठनों के आह्वान पर वहां बड़ी संख्या में कारसेवक जुटे और इस ढांचे को ध्वस्त कर दिया। इस मामले में पहली प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआइआर) उसी दिन रामजन्मभूमि थाने में दर्ज हुई। 40 ज्ञात और लाखों अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ आइपीसी की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने जांच शुरू करने के बाद ज्ञात-अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज दो अलग-अलग एफआइआर को एक कर दिया। इस मुकदमे की सुनवाई पहले रायबरेली, लखनऊ दोनों जगह और बाद में सिर्फ

लखनऊ में हुई। करीब 28 साल बाद अब इस मुकदमे में 30 सितंबर को लखनऊ की विशेष अदालत अपना फैसला सुना रही है।

40 के खिलाफ सीबीआइ ने दाखिल किया आरोप पत्र : सीबीआइ ने 40 आरोपितों के विरुद्ध चार अक्टूबर, 1993 को विशेष अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (अयोध्या प्रकरण) लखनऊ के समक्ष आरोप पत्र दाखिल किया। इनमें बाल ठाकरे, लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, अशोक सिंहल, विनय कटियार, मोरेश्वर सावे, पवन पांडे, बृजभूषण शरण सिंह, जय भगवान गोयल, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, महाराज स्वामी साक्षी, सतीश प्रधान, मुरली मनोहर जोशी, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, विनोद कुमार वत्स, रामचंद्र खत्री, सुधीर कक्कड़, अमरनाथ गोयल, संतोष दुबे, प्रकाश शर्मा, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर, राम नारायण दास, रामजी गुप्ता, लल्लू सिंह, चंपत राय बंसल, विनय कुमार राय, कमलेश त्रिपाठी, गांधी यादव, हरगोविंद सिंह व विजय बहादुर सिंह आदि शामिल रहे।

पेश किए गए 351 गवाह : अभियोजन पक्ष ने 351 गवाह पेश किए। इनमें 57 गवाह रायबरेली व 294 लखनऊ कोर्ट में पेश हुए। गवाहों में प्रिंट-इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार व फोटोग्राफर, सरकारी कर्मचारी व अधिकारी, स्थानीय निवासी व जांच अधिकारी आदि शामिल रहे।

दर्ज कराए गए थे कुल 50 मुकदमे : अयोध्या ढांचा विध्वंस मामले से जुड़े अधिवक्ता केके मिश्र ने बताया कि अयोध्या विवादित ढांचा ध्वंस मामले की पहली रिपोर्ट (197/92) इंस्पेक्टर रामजन्मभूमि प्रियंवदा नाथ शुक्ला ने थाना रामजन्मभूमि में 40 लोगों को नामजद करते हुए लाखों अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ दर्ज कराई थी। इसी दिन दूसरी रिपोर्ट (198/92) चौकी इंचार्ज राम जन्मभूमि जीपी तिवारी ने अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ दर्ज कराई थी। इसके अलावा 48 एफआइआर मीडिया कर्मियों की ओर से दर्ज कराई गईं। इस तरह छह दिसंबर, 1992 की घटना को लेकर कुल 50 एफआइआर दर्ज हुई थीं। सीबीआइ ने कई चरणों में आरोप पत्र दाखिल कर अभियोजन के पक्ष को साबित करने के लिए 994 गवाहों की सूची अदालत में दाखिल की।

बाद में बनाए गए थे नौ और आरोपित : प्रारंभिक मुकदमा 40 लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया था। बाद में सीबीआइ ने रामजन्मभूमि न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष रामचंद्रदास परमहंस, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मौजूदा अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास, तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ, डॉ रामविलासदास वेदांती व विजयाराजे सिंधिया समेत नौ अन्य को भी आरोपित बनाया।

तारीख के आईने में पूरा घटनाक्रम…

  • 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में ढांचा ध्वंस।
  • 1 मार्च 1993 को फैजाबाद से ललितपुर के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट को पत्रावली भेजी गई।
  • 9 सितंबर 1993 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रकरण ललितपुर से रायबरेली स्थानांतरित।
  • 10 सितंबर 1993 को रायबरेली की विशेष अदालत में पत्रावली आई।
  • 24 जनवरी 1994 को स्पेशल जज (अयोध्या प्रकरण) लखनऊ को पत्रावली स्थानांतरित।
  • 17 सितंबर 2002 को तत्कालीन राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में शपथ पत्र देकर कहा कि सीबीआइ प्रकरण को रायबरेली की अदालत में ले सकती है।
  • 29 नवंबर 2002 को सर्वोच्च न्यायालय ने मुकदमा को रायबरेली में चलाने का आदेश दिया।
  • 21 मार्च 2003 को पत्रावली रायबरेली की विशेष अदालत आई।
  • 29 मार्च 2003 को सभी आठ आरोपियों को हाजिर होने के लिए सम्मन जारी हुआ।
  • 19 सितंबर 2003 को आडवाणी को आरोपमुक्त करते हुए बचे अन्य सात आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश।
  • 10 अक्तूबर 2003 को आरोप तय करने के लिए तिथि निश्चित की गई, लेकिन जोशी समेत सातों के हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर देने से आरोप तय नहीं हो सका।
  • 6 जुलाई 2005 को हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि आडवाणी समेत आठों आरोपियों पर रायबरेली के विशेष कोर्ट में मुकदमा चलेगा।
  • 28 जुलाई 2005 को आडवाणी समेत सभी आठ आरोपी कोर्ट में पेश, सभी के खिलाफ आरोप तय।
  • 23 मई 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लालकृष्ण आडवाणी सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र का चार्ज हटा लिया और सीबीआई 2012 में सुप्रीम कोर्ट गई, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक षड्यंत्र को एक बार फिर बहाल करके तेजी से ट्रायल करने का निर्देश दिया।
  • अप्रैल 2017 को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दो साल के अंदर पूरे केस की सुनवाई पूरी करने के निर्देश सीबीआई की विशेष अदालत को दिए। इस मुकदमे में सुनवाई लखनऊ और रायबरेली की दो अदालतों में चल रही थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2017 को अपने आदेश में लखनऊ में ही रायबरेली केस को शामिल करके एक साथ सुनवाई पूरी करने के निर्देश दिए।
  • 21 मई 2017 से प्रतिदिन इस केस की सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट में सभी आरोपितों के बयान दर्ज हुए।
  • 8 मई 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त तक सुनवाई पूरी करने के आदेश दिए लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसकी तारीख आगे बढ़ाई गई, जो 30 सितंबर तक है।
  • अयोध्या विवादित ढांचा विध्वंस केस में सीबीआई की विशेष अदालत के जज सुरेंद्र यादव ने सभी पक्षों की दलील, गवाही और जिरह सुनने के बाद 1 सितंबर 2020 को मामले की सुनवाई पूरी कर ली और दो सितंबर से केस का फैसला लिखना शुरू कर दिया।
  • 16 सितंबर 2020 को जज सुरेंद्र यादव ने इस ऐतिहासिक केस में फैसले की तारीख 30 सितंबर घोषित कर दी।

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