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Bihar Politics सुशील मोदी को भाजपा ने बनाया राज्यसभा प्रत्याशी, लोजपा की नजर भी टिकी थी

पटना।  भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी राज्यसभा उपचुनाव में एनडीए के उम्मीदवार होंगे। राष्ट्रीय महामंत्री व मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह ने शुक्रवार को सुशील मोदी के नाम का एलान कर दिया। भाजपा ने सुशील मोदी के नाम का सिंबल आवंटन संबंधित पत्र भी जारी किया है।

पहली बार चुने जाएंगे राज्‍यसभा के लिए

भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी नीतीश कुमार की पिछली सरकार में महागठबंधन के समय को छोड़कर 2005 से ही डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री के पद पर आसीन रहे हैं। नई सरकार में उन्हें कोई पद नहीं दिया गया था। तभी से माना जा रहा था कि भाजपा उन्हें राज्यसभा भेज सकती है। भागलपुर से सांसद रहे सुशील मोदी पहली बार राज्यसभा के लिए चुने जाएंगे। दस साल की उम्र से ही बाल स्वयंसेवक सुशील मोदी 2005 से लगातार विधान पार्षद हैं। बिहार विधानसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।

लोजपा की नजर टिकी थी

पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई बिहार की एकमात्र राज्यसभा की सीट पर अगर जरूरत पड़ी 14 दिसंबर को चुनाव होगा। लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे के दौरान समझौते के तहत भाजपा ने अपने कोटे से पासवान को राज्यसभा भेजा था। इस सीट पर लोजपा की नजर टिकी थी। पासवान की पत्नी रीना पासवान के लिए लोजपा सीट मांग रही थी। राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए में भाजपा की सहयोगी लोजपा है।

मतदान की स्थिति बनी तो यह होगा समीकरण

विधानसभा अध्यक्ष चुनाव की तरह ही अगर महागठबंधन की ओर से भी प्रत्याशी खड़ा कर दिया जाता है तो 243 सदस्यीय विधानसभा में जीत उसी की होगी, जिसे प्रथम वरीयता के कम से कम 122 वोट मिलेंगे। फिलवक्त कोई भी दल अकेले इस आंकड़ा के करीब नहीं हैं। भाजपा को सीट को बचाने के लिए जदयू के साथ हम और वीआइपी से मदद लेनी होगी। पिछले तीन दशक से सुशील मोदी बिहार में भाजपा की पहली पंक्ति के नेता रहे हैं। नीतीश कुमार से उनके करीबी रिश्ते को देखते हुए जदयू को उनके नाम पर कोई आपत्ति नहीं होगी। भाजपा को सुशील मोदी के नाम पर राजग के अन्य दलों के विधायकों को भी एकजुट रखने में भी मदद मिलेगी।

सुशील मोदी के नाम की थी चर्चा

 भाजपा में राज्‍यसभा की इस  सीट के लिए कई दावेदार थे, लेकिन लाेजपा और जदयू के कड़वे रिश्‍ते के कारण भाजपा के पास अपने किसी सर्वसम्‍मत प्रत्‍याशी के नाम को आगे करना  था। इसके लिए सुशील मोदी के नाम की चर्चा थी । वे बिहार में भाजपा के पहली पंक्ति के नेता रहे हैं। सीएम नीतीश कुमार से उनके करीबी रिश्‍ते को देखते हुए  जदयू को भी उनके नाम पर आपत्ति नहीं थी।

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