कृषि विधेयकों के खिलाफ किसानों का ‘पंजाब बंद’ आज, रेलवे ट्रैक पर डटे किसान
चंडीगढ़/नई दिल्ली: केंद्र सरकार के 3 कृषि बिलों का विरोध कर रहे किसानों ने पंजाब भर में रेल लाइनों, खासकर दिल्ली को जाने वाली रेल लाइनों पर धरने लगा दिए। किसान संगठनों के ऐलान के मुताबिक वीरवार को शुरू हुए ये धरने 48 घंटे चलेंगे और आगे की रणनीति बाद में घोषित की जाएगी। उधर, भारतीय किसान यूनियन और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के 25 सितम्बर के भारत बंद को कांग्रेस ने अपना समर्थन दे दिया है।
भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां) के प्रधान जोगिंद्र सिंह उगराहां और महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि कोरोना की आड़ में किसान मारू ऑर्डीनैंसों को पार्लियामैंट में भी धक्केशाही से पास कर खेती पर कॉर्पोरेट का मुकम्मल कब्जा करवाने पर तत्पर मोदी भाजपा सरकार के विरुद्ध तीखा संघर्ष जारी रहेगा। इसके तहत किसान मजदूर संघर्ष समिति के आह्वान पर वीरवार को शुरू किए गए 48 घंटों के रेल जाम की हिमायत में तालमेल के तौर पर भाकियू (एकता उगराहां) की ओर से मानसा, बरनाला, नाभा (पटियाला) और छाजली (संगरूर) में दिल्ली वाले रेलवे रूटों पर दिन-रात के धरने शुरू किए गए। साथी संगठनों की ओर से देवीदासपुरा (जालंधर) और फिरोजपुर में भी धरने लगाए गए।
कोकरीकलां ने कहा कि पूरे पंजाब में मोदी भाजपा हुकूमत के विरुद्ध किसान मजदूर और अन्य कामगार भी धरनों में शामिल हुए। भारी संख्या में युवाओं और महिलाओं समेत सैंकड़ों लोग पहुंचे। संगठन के मुख्य वक्ताओं में राज्य प्रधान जोगिंद्र सिंह उगराहां, जसविंद्र सिंह लौंगोवाल, राम सिंह भैणीबाघा, राजविंद्र सिंह रामनगर, कमलजीत कौर, हरप्रीत कौर जेठूके, चमकौर सिंह नैणेवाल, सतविंद्र कौर शादीहरीके, स्नेहदीप, अमरीक सिंह गंढूआं, मनजीत सिंह नियाल शामिल थे। 31 किसान संगठनों के आह्वान पर पंजाब बंद की तैयारी के लिए संगठन के हजारों वालंटियर बाइक के काफिलों में गांव-गांव और शहर-शहर जाकर लोगों को स्पीकरों से जागरूक कर रहे हैं। बंद को दुकानदारों समेत हर वर्ग के कामगार, कलाकारों, व्यापारियों और सामाजिक/धार्मिक/संस्थाओं/क्लब के अलावा पार्टी हित से ऊपर उठे पंच-सरपंच और अन्यों का भी जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। बंद की कामयाबी के लिए दुकानदारों के नाम अपील के पोस्टर भी बांटे गए हैं। उन्होंने खबरदार किया कि किसी भी राजनीतिक पार्टी का कोई नेता संगठन के धरनों में आने का जोखिम न उठाए। कोई आम आदमी पार्टी का कार्यकत्र्ता भी पार्टी का झंडा न लेकर आए।
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