ब्रेकिंग
दिल्ली सीमा पर डटे किसानों को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, CJI बोले- बात करके पूरा हो सकता है मकसद UP के अगले विधानसभा चुनाव में ओवैसी-केजरीवाल बिगाड़ सकते हैं विपक्ष का गणित सावधान! CM योगी का बदला मिजाज, अब कार से करेंगे किसी भी जिले का औचक निरीक्षण संसद का शीतकालीन सत्र नहीं चलाने पर भड़की प्रियंका गांधी पाक सेना ने राजौरी मे अग्रिम चौकियों पर गोलीबारी की संत बाबा राम सिंह की मौत पर कमलनाथ बोले- पता नहीं मोदी सरकार नींद से कब जागेगी गृह मंत्री के विरोध में उतरे पूर्व सांसद कंकर मुंजारे गिरफ्तार, फर्जी नक्सली मुठभेड़ को लेकर तनाव मोबाइल लूटने आए बदमाश को मेडिकल की छात्रा ने बड़ी बहादुरी से पकड़ा कांग्रेस बोलीं- जुबान पर आ ही गया सच, कमलनाथ सरकार गिराने में देश के PM का ही हाथ EC का कमलनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश, चुनाव में पैसे के गलत इस्तेमाल का आरोप

प्लास्टिक बोतल-पॉलीथिन से ईको-ब्रिक्स तैयार कर हो रहा निर्माण, छावनी परिषद देहरादून ने निकाला नायाब तरीका

देहरादून। अक्सर लोग पानी या कोल्ड ड्रिंक की खाली बोतल और चिप्स-कुरकुरे के खाली रैपर इधर-उधर फेंक देते हैं। तमाम पाबंदी के बावजूद पॉलीथिन का इस्तेमाल भी पूरी तरह बंद नहीं हुआ है। जबकि, प्लास्टिक का कचरा न केवल पर्यावरण बल्कि पारिस्थतिकी तंत्र को भी नुकसान पहुंचा रहा है। जमीन में दबा देने पर भी इसे गलने में सैकड़ों वर्ष लग जाते हैं, वहीं आग में जलाने पर यह हानिकारक गैस बनाता है। ऐसे में छावनी परिषद देहरादून ने प्लास्टिक कचरे के निस्तारण का एक नायाब तरीका निकाला है। इसे अब ईको-ब्रिक्स में तब्दील कर निर्माण कार्यों में इस्तेमाल किया जा रहा है।

कैंट बोर्ड की मुख्य अधिशासी अधिकारी तनु जैन के अनुसार ईको ब्रिक बनाने के लिए प्लास्टिक की खाली बेकार बोतलों की जरूरत होती है। इन बोतलों में प्लास्टिक वेस्ट भरना होता है और एक बार संकुचित करना होता है। ऐसा करने से एक ठोस उत्पाद तैयार हो जाता है, जो काफी मजबूत होता है। इन्हें ईंटों की जगह इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह प्लास्टिक के कचरे के खिलाफ लडऩे में भी मददगार है। अभी तक कैंट बोर्ड प्लास्टिक की छह हजार बोतल और चार हजार किलोग्राम प्लास्टिक कचरा इस्तेमाल में ला चुका है। इससे प्रेमनगर स्थित कैंट जूनियर हाईस्कूल और गढ़ी कैंट स्थित ब्लूङ्क्षमग बड्स स्कूल में पेड़ का चबूतरा, बेंच व स्टूल आदि तैयार किए गए हैं।

उनका कहना है कि आज की सबसे बड़ी बात यह है कि तमाम स्तर पर पर्यावरण संरक्षण की बात तो होती है, लेकिन अभी भी एक बड़ा तबका इसे लेकर संजीदा नहीं है। इस अभियान का मकसद यही है कि लोग जागरूक हों और इस काम में भागीदारी करें। प्लास्टिक कचरे में प्रतिदिन इजाफा होता चला जा रहा है और सवाल यह उठता है कि इसको रिसाइकिल करके किस तरह इस्तेमाल में लाया जाए। मौजूदा दौर में इन ईको ब्रिक्स का इस्तेमाल कई निर्माण कार्यों में किया जा रहा है। लोग खुद भी इस ओर पहल कर सकते हैं।

लोग इस मुहिम को अपना मानें 

कैंट जूनियर हाईस्कूल की प्रधानाध्यापिका ममता गुलेरिया ने बताया कि स्कूल का स्टाफ तकरीबन तीन माह से इस मुहिम में जुटा हुआ है। यहां तक कि गली-गली घूमकर प्लास्टिक की खाली बोतलें, पॉलीथिन आदि एकत्र किए गए। जिसका परिणाम सुखद रहा है। अब जरूरत इस बात की है कि लोग भी आगे बढ़कर कैंट बोर्ड की मुहिम का हिस्सा बनें। लोग स्कूल में आकर देख सकते हैं कि अभियान किस कदर उपयोगी रहा है।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.