देश के इन राज्यों में नया कानून, बाहरी लोगों के लिए सरकारी नौकरी में अवसर हो जाएंगे कम
नई दिल्ली। भारत में इस वक्त बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए कई राज्य सरकारें ऐसा कानून लाने की कोशिश में जुटी हैं, जिससे अपने प्रदेश के निवासियों को रोजागर उपलब्ध कराया जा सके। ऐसे राज्यों में दूसरे राज्यों के लोगों के लिए नौकरी के अवसर काफी कम हो जाएंगे। इस वक्त यह चिंता का विषय है क्योंकि सरकार एक तरफ तो देश के प्रत्येक नागरिक को रोजगार प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला रही है, लेकिन धरातल पर स्थिति में कोई भी सुधार होता हुआ नहीं दिख रहा है। अब स्थितियों में सुधार लाने के लिए कई राज्यों सरकार द्वारा प्रस्तावित की जा रही सरकारी नौकरी से जुड़े विधेयक को लेकर अलग-अलग एंगल निकल कर सामने आ रहे हैं।
एक तरफ तो राज्य सरकारें अपने निवासियों को सरकारी नौकरी फीसद आरक्षण देकर युवाओं को आकर्षित कर रही है, ताकि युवाओं को रोजगार से संबंधित पेरशानियों का सामना न करना पड़े। वहीं दूसरी तरफ अन्य राज्यों से आने वाले युवाओं के लिए सरकारी नौकरी का रास्ता बंद कर रही है। ऐसे में यह कानून प्रदेश के युवाओं के लिए तो बेहतर साबित हो सकता है, लेकिन बाहरी राज्यों के लिए सरकारी नौकरी करने की चाह रखने वाले युवाओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। तो आइये जानते हैं कि देश में ऐसे कौन-कौन से राज्य हैं, जिन्होंने अपने राज्य में सरकारी नौकरी से जुड़े इस प्रस्ताव पर कार्य किया है।
हरियाण में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन विधेयक-2020
अभी हाल ही में भारत के हरियाणा राज्य में ‘स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन विधेयक-2020 लाया गया है। इस विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद यह पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगा। इस कानून का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध करवाना है। इस कानून के पास होने के बाद निजी क्षेत्र में हरियाणा के युवाओं की 75 फीसद हिस्सेदारी सुनिश्चित होगी। यह बिल के आने के बाद से प्रदेश में विपक्ष लगातार विरोध भी कर रहा है, लेकिन बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए राज्य सरकार इस विधेयक को कानून बनाने की कोशिश में जुटी हुई है। ऐसे में अगर यह बिल कानून की शक्ल ले लेता है तो अन्य राज्यों के लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएगी। क्योंकि मौजूदा समय में किसी भी अन्य राज्य के लोग किसी भी राज्य में सरकारी प्राइवेट नौकरी के लिए अप्लाई कर सकता था, लेकिन इस कानून के बाद यह रास्ता बंद हो जाएगा। वहीं हरियाणा के युवाओं के लिए यह कानून बेहतर साबित हो सकता है
मध्य प्रदेश पहले ही कर चुका है एलान
बता दें कि हरियाणा से पहले मध्य प्रदेश सरकार ऐसा कानून सामने ला चुकी है। पिछले दिनों मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐसा कानून पर भी एलान किया था इस साल 15 अगस्त 2020 को मुख्यमंत्री ने इस संबंध में घोषणाएं की थी। उन्होंने इस दौरान कहा था कि राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है कि शासकीय नौकरियां में अब सिर्फ मध्य प्रदेश के बच्चों को नौकरी मिलेगी। यानी अब यहां पर दूसरे राज्यों के आवदेकों को किसी भी तरह की सरकार नौकरी में तरजीह नहीं दी जाएगी।
केरल में 10 फीसद आरक्षण
बता दें कि केरल सरकार भी सरकारी नौकरी में अपने प्रदेश के युवाओं के लिए आरक्षण लागू कर चुकी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस राज्य में सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों में 10 फीसद का आरक्षण लागू किया है। मुख्यमंत्री पी विजयन ने पिछले महीने इसको लेकर निर्णय लिया था।
फिलहाल देश के मध्य प्रदेश में लागू इस कानून के बाद ज्यादातर राज्य भी इस ओर अग्रसर हैं। जिससे प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर तो हैं, लेकिन बाहरी लोगों के लिए रास्ता बंद होने पर सवाल खड़ा होता है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.