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निजी जासूसों से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार को यह निर्देश देने की अपील की गई थी कि जब तक कोई संहिताबद्ध कानून अस्तित्व में नहीं आ जाता तब तक वह निजी जासूसों के कामकाज और अधिकार क्षेत्र को विनियमित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करे।

याचिका में गैर-कानूनी तरीके से हासिल की गई भारतीय नागरिकों की निजी जानकारियां दूसरे देशों को हस्तांतरित करने से रोकने के लिए सरकार को एक तंत्र बनाने का निर्देश देने की भी अपील की गई थी। जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा से कहा, कृपया आप इस याचिका को वापस ले लें या फिर हम इसे खारिज कर देंगे।

मखीजा ने दलील दी थी कि निजी एजेंसियों द्वारा जासूसी विनियमित नहीं है और इस मुद्दे पर विचार करने की जरूरत है। हालांकि बाद में उन्होंने याचिका वापस ले ली। हरियाणा की एक महिला ने याचिका दायर कर आरोप लगाया गया था कि दिल्ली स्थित कंपनी के दो निजी जासूसों ने बिना किसी अनुमति के उनकी निजी जानकारी हासिल की और अमेरिका निवासी एक व्यक्ति को भेज दी। याचिका में आरोप लगाया गया कि धोखाधड़ी से हासिल इस जानकारी का इस्तेमाल एक अमेरिकी नागरिक वहां की एक अदालत में कर रहा है। वीडियो कांफ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई में पीठ ने मखीजा से कहा कि आप हमें बताएं कि हम कैसे एक निजी निकाय को परमादेश रिट जारी कर सकते हैं।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि गृह मंत्रालय को परमादेश रिट जारी की जा सकती है। इसे विनियमित करने के लिए कोई कानून नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह (याचिकाकर्ता के) निजी जीवन में दखलअंदाजी है।

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