पंजाब में ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह बंद, कच्चे माल की कमी से संकट में इंडस्ट्री
लुधियाना। पंजाब में केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन के कारण इंडस्ट्री भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। किसान यात्री ट्रेनों के लिए ट्रेक खाली न करने पर अड़े हैं। हालांकि उनका कहना है कि मालगाड़ियों को वह आने देंगे, लेकिन रेलवे मालगाड़ियां नहीं चला रहा। इसका असर थर्मल प्लांटों की कोयले की सप्लाई के साथ-साथ स्टील इंडस्ट्री पर भी पड़ रहा है।
कच्चे माल की उपलब्धता नहीं होने से जहां स्टील के दाम में इजाफा होने लगा है, वहीं उत्पादन पर भी असर पड़नेे लगा है। लुधियाना में 70 फीसद बाजार लोहे के उत्पादों से जुड़े हैं। यहां रोजाना की खपत के मुताबिक मैटीरियल नहीं मिलने के चलते उद्यमियों ने केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप कर स्टील का रा मटीरियल उपलब्ध करवाने और दाम को निर्धारित करने के लिए कमेटी बनाने की मांग की है।
फास्टनर सप्लायर एसोसिएशन के प्रधान राजकुमार सिंगला के मुताबिक कच्चे माल की कमी के बीच जमाखोरों ने स्टील स्क्रैप तक स्टाक कर लिया है। एक सप्ताह में स्टील के दाम तीन से चार रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं जो इंडस्ट्री को परेशानी में डाल रहा है। ऐसे में सरकार को तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप कर राहत देनी चाहिए।
पंजाब की कुल प्रोडक्शन में 70 फीसद हिस्सा स्टील इंडस्ट्री का
लुधियाना में कुल पचास स्टील निर्माता कंपनियां हैं। रोजाना इनमें कुल सात हजार टन स्टील के उत्पादों का निर्माण होता है। इसके जरिए ही साइकिल से लेकर अन्य सारी इंडस्ट्री की खपत पूरी हो पाती है। इसके लिए इंडस्ट्री को रोजाना आठ हजार टन स्क्रैप की आवश्यकता पड़ती है। इनका इस्तेमाल इंजीनियरिंग, साइकिल, फाउंडरी, ट्रैक्टर पाट्र्स, आटो पाट्र्स, गार्डनिंग टूल्स सहित कई अहम उत्पादों में किया जाता है। पंजाब की कुल प्रोडक्शन में 70 फीसद हिस्सा इस इंडस्ट्री का है। इन सेक्टरों में ब्रेक लगने से आने वाले दिनों में पंजाब की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
संकट बढ़ा : विनी
पंजाब की मुख्य सचिव विनी महाजन का कहना है कि केंद्र सरकार के मालगाड़ियों के संचालन रोकने से सूबे के थर्मल प्लांटों में कोयल संकट गहरा गया है। थर्मल पावर प्लांटों में बिजली का उत्पादन गिर गया है। जब तक मालगाडिय़ों का परिचालन बहाल नहीं होगा तब तक हालात गंभीर रहेंगे।
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