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विजयदशमी आज, जानिए- पूजा मुहूर्त, महत्व और सबकुछ

नई दिल्‍ली। दशहरा हिंदुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक है। भारत में दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का बड़ा प्रतीक माना जाता है। हिंदू पचांग के अनुसार, दशहरा दि‍वाली से ठीक 20 दिन पहले अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल दशहरा 25 अक्तूबर रविवार और 26 अक्तूबर सोमवार को मनाया जाएगा। लंका में भगवान श्रीराम के हाथों रावण का वध होने के बाद से ही इसे मनाने की परंपरा चली आ रही है। वहीं इस दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का संहार भी किया था, इसलिए भी इसे विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। दुनिया भर में कोरोना काल के बीच भारत के तमाम उत्सव भी इस बार फीके नजर आ रहे हैं। देश भर में मनाया जाने वाला दशहरा का पर्व भी अब सांकेतिक तरीके से मनाया जाएगा। बढ़ते संक्रमण के बीच इस साल दुर्गा पूजा और रावण दहन जैसे कार्यक्रमों का आयोजन नहीं होना है

विजय दशमीका पर्व, इस साल रविवार 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। पितृपक्ष के बाद अधिकमास लगने से इस बार नवरात्र, दशहरा और सभी एक महीने देर से आए हैं। 17 अक्टूबर से नवरात्रि का शुभारंभ हुआ है और 24 अक्टूबर को रामनवमी के अगले ही दिन पूरे देश में दशहरे का पर्व मनाया जाएगा। इसके ठीक 20 दिन बाद यानी शनिवार, 14 नवंबर को दीवाली का पर्व मनाया जाएगा।

शुभ मुहूर्त

विजय दशमी का शुभ मुहुर्त 25 अक्टूबर को 7 बजकर 41 मिनट से 26 अक्टूबर को 8 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। इस बीच 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 40 तक विजय मुहूर्त रहेगा, जबकि 01 बजकर 11 मिनट से 03 बजकर 24 मिनट तक अपराह्न पूजा का समय रहेगा।

दशहरा पूजा का शुभ मुहूर्त 

पूजा का ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4 बजकर 46 मिनट से 5 बजकर 27 मिनट तक

संध्या पूजा का मुहूर्त – शाम 5 बजकर 41 से 6 बजकर 58 मिनट तक

अमृत काल का मुहूर्त – शाम 5 बजकर 14 से 6 बजकर 57 मिनट तक

विजयदशमी पर पूजा के फायदे

इस दिन भगवान राम और महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। इससे सम्पूर्ण बाधाओं का नाश होगा और जीवन में विजय श्री प्राप्त होगी। इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करना बड़ा फायदेमंद होता है। नवग्रहों को नियंत्रित करने के लिए भी दशहरे की पूजा अद्भुत होती है।

विजयदशमी पूजा विधि 

विजयदशमी के दिन शुभ मुहूर्त में शमी के पौधे के पास जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। प्रणाम कर शमी पूजन मंत्र पढ़े। इसके बाद यह प्रार्थना करें कि सभी दिशा-दशाओं में आप विजय प्राप्त करें। अगर आपके परिवार में अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है तो एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर सभी शस्त्र उस पर रखें। फिर गंगाजल छिड़क कर पुष्प अर्पित करें। साथ ही यह प्रार्थना करें कि संकट पड़ने पर यह आपकी रक्षा करें। इस दिन भगवान श्रीराम की उपासना करने का बहुत अधिक महत्व होता है। एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान श्री राम की प्रतिमा स्थापित करें। फिर धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर भगवान श्री राम की उपासना करें। अंत में आरती करें।

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