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विकास दुबे की भूमि पर कब्जा कर बताई अपनी, प्रशासन अबतक नहीं सुलझा मसला

कानपुर। चौबेपुर के बिकरू गांव में पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद मुठभेड़ में मारे गए कुख्यात विकास दुबे की सकरवां गांव स्थित दस बीघा विवादित भूमि का मामला तहसील प्रशासन एक सप्ताह बाद भी नही सुलझा सका है। एक पक्ष भूमि पर अपना कब्जा बता रहा है। वहीं प्रशासन ने राजस्व अभिलेखों से भूमि के मालिकाना हक की जांच शुरू कराई हैं।

तहसील क्षेत्र के सकरवां गांव में बिकरू निवासी कुख्यात विकास दुबे के नाम 24 बीघा खेतिहर भूमि खतौनी मे दर्ज हैं। बीते 2 जुलाई की रात दबिश के दौरान सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद फरार हुए विकास दुबे को एसटीएफ टीम द्वारा मुठभेड़ में मार गिराया जा चुका है। इसके बाद अब लोगों के जेहन से विकास दुबे को खौफ निकलने लगा हैं। पुराने मामले भी सामने आने लगे हैं। कुख्यात की विवादित जमीनों पर फिर से विवाद खड़ा हो गया है।

बताया गया कि सकरवां गांव में फरवरी 2016 में विकास दुबे ने उन्नाव निवासी शशिकांत से 24 बीघा भूमि का बैनामा कराया था। इनकाउंटर में मारे जाने के बाद सकरवां के तीन लोगों ने 10 बीघा भूमि पर अपना दावा जताते हुए बीते सप्ताह एसडीएम कोर्ट में प्रत्यावेदन दिया था। इसके बाद प्रशासन को कुख्यात की जमीन पर कब्जा हो जाने की जानकारी मिली।

मामला चर्चा में आने के बाद एसडीएम ने नायब तहसीलदार को मौके पर भेज कर विवादित भूमि से फिलहाल कब्जा हटवा कर ग्राम प्रधान को सुपुर्दगी दी हैं। इधर मामले के पांच दिन बाद भी तहसील प्रशासन यह तय नहीं कर सका है कि विवादित भूमि पर असली मालिकाना हक किसका है। एसडीएम बिल्हौर पीएन सिंह ने बताया कि नायब तहसीलदार ने रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें कब्जा करने वाले लोगों का वाद माती कोर्ट से खारिज हो चुका है। तहसीलदार बिल्हौर अवनीश कुमार ने बताया कि विवादित भूमि से कब्जा हटवा दिया गया है। विकास दुबे के घर वालों ने भूमि पर मालिकाना हक संबंधी कोई कागजात प्रस्तुत नहीं किए हैं। राजस्व टीम द्वारा पड़ताल कराई जा रही है।

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